सिविल सेवाओं का चरित्र बदला जा रहा है, 82 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र लिखकर जताई चिंता

एक खुले पत्र में 82 पूर्व नौकरशाहों ने लिखा कि सिविल सेवाओं के चरित्र को बदलने का प्रयास अत्यधिक खतरे से भरा है और यह भारत में संवैधानिक सरकार की अंत का कारण बनेगा।

Updated: May 26, 2023, 05:22 PM IST

नई दिल्ली। सिविल सेवा प्रतिनियुक्ति नियमों में लैटरल एंट्री और प्रस्तावित परिवर्तनों को लेकर 82 पूर्व नौकरशाहों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में सिविल सेवाओं के चरित्र को बदलने के लिए किए जा रहे कथित सुनियोजित प्रयासों पर चिंता व्यक्त की है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक खुले पत्र में उन्होंने उनसे अपनी चिंताओं को केंद्र सरकार तक पहुंचाने और उन्हें आगाह करते हुए अपील की कि सिविल सेवाओं के चरित्र को बदलने का प्रयास अत्यधिक खतरे से भरा है। साथ ही यह भारत में संवैधानिक सरकार की अंत का कारण बनेगा। पत्र में कहा गया है कि सिविल सेवाओं, विशेष रूप से आईएएस और आईपीएस के चरित्र को बदलने के लिए एक सुनियोजित प्रयास किया जा रहा है।

पूर्व नौकरशाहों ने आगे लिखा है कि, 'हम आपसे एक ऐसे मामले पर संपर्क करना चाहते हैं जो हाल ही में हमारे लिए बहुत चिंता का कारण बन रहा है और हम आपके संज्ञान में इसे लाने के लिए बाध्य हैं। संबंधित अधिकारियों या उनकी राज्य सरकारों की सहमति के बिना केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को मजबूर करने के लिए सेवा नियमों में संशोधन करने की मांग की गई है, जिससे उनके अधिकारियों पर मुख्यमंत्रियों के अधिकार और नियंत्रण को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके। इसने संघीय संतुलन को बिगाड़ दिया है और परस्पर विरोधी निष्ठाओं के बीच लापरवाह तरीके से सिविल सेवकों को छोड़ दिया है, जिससे उनकी निष्पक्ष होने की क्षमता कमजोर हो गई है।'

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना पूरे आदिवासी समुदाय का अपमान, दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

बता दें कि केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने दिसंबर 2021 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 में बदलावों का प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की मांग के लिए केंद्र के अनुरोध को रद्द करने की राज्यों की शक्ति को खत्म कर देगा। इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से टिप्पणी मांगी गई थी। मौजूदा नियम भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आपसी परामर्श की अनुमति देते हैं। हालांकि, मामले में अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

इसके अलावा केंद्र ने इस महीने अपने 12 विभागों में अनुबंध के आधार पर संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के रूप में निजी क्षेत्र के 20 विशेषज्ञों की भर्ती करने का फैसला किया है। पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि ऐसे उपाय किए जा रहे हैं जो आईएएस और आईपीएस के अद्वितीय संघीय डिजाइन को खतरे में डाल सकते हैं।