राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना पूरे आदिवासी समुदाय का अपमान, दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

देश में पहली बार कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी हैं। उन्हें नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाना राष्ट्रपति पद का अपमान है। देश के आदिवासी समुदाय का अपमान है: दिग्विजय सिंह

Updated: May 26, 2023, 09:49 AM IST

नई दिल्ली। नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है। कांग्रेस समेत देश के 21 प्रमुख राजनीतिक दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी अड़ियल रवैया अख्तियार कर लिया है। मामले पर कांग्रेस के कद्दावर नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। सिंह ने कहा कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना पूरे आदिवासी समुदाय का अपमान है।

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, 'आदिवासी समुदाय से संबंधित राष्ट्रपति को आमंत्रित न करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका अपमान किया है। राष्ट्रपति मुर्मू से न तो नए संसद भवन का शिलान्यास कराया गया और न ही उन्हें 28 मई को इसके उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया है। यह राष्ट्रपति का अपमान तो है ही, देश के आदिवासी समुदाय और उन नागरिकों का भी अपमान है जो भारतीय संविधान में आस्था रखते हैं।'

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सिंह ने कहा कि, 'नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर फिलहाल जो भी कार्यक्रम तय किया गया है, वह प्रधानमंत्री मोदी की बहुत बड़ी भूल है और इससे संविधान के अनुच्छेद 79 का उल्लंघन होता है। अब भी समय है। इस कार्यक्रम में तत्काल परिवर्तन करके 28 मई को राष्ट्रपति के हाथों नये संसद भवन का उद्घाटन कराया जाना चाहिए।'

इंदौर एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान भी सिंह ने यह मुद्दा उठाया। पूर्व सांसद ने कहा, 'हम सेंट्रल विस्टा परियोजना का विरोध नहीं कर रहे हैं। देश में पहली बार कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनी हैं। उन्हें नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाना राष्ट्रपति पद का अपमान है। क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 79 में प्रावधान है कि संसद को लेकर कोई भी कार्यक्रम राष्ट्रपति की सहमति के बिना नहीं हो सकता।'

इससे पहले 19 विपक्षी दलों द्वारा जारी साझा बयान में कहा गया था कि, 'जब लोकतंत्र की आत्मा नहीं बची, तो नए संसद भवन का कोई फायदा नहीं है। राष्ट्रपति की ओर से ही संसद बुलाई जाती है। राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने बिना उनको बुलाए संसद के नए भवन के उद्घाटन का फैसला लिया है। यह अशोभनीय और उच्च पद का अपमान है।'