जब पुलिस ही डेयर डेविल्स बन जाए तो... सुप्रीम कोर्ट पहुंचा अतीक-अशरफ की हत्या का मामला

याचिका में अतीक-अशरफ हत्याकांड की सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच की मांग की गई है, साथ ही यूपी में 2017 के बाद हुए सभी 183 एनकाउंटर की जांच की मांग की गई है।

Updated: Apr 17, 2023, 03:59 AM IST

नई दिल्ली। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने याचिका दाखिल कर पूरे मामले की पूर्व जज की निगरानी में जांच की मांग की है। इतना ही नहीं याचिका में 2017 से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में हुए 183 एनकाउंटर की भी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की कराने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि पुलिस कस्टडी में ऐसे हत्याकांड या फर्जी मुठभेड़ के बहाने हत्या की वारदात कानून के शासन का उल्लंघन है। विकास दुबे से लेकर असद की मुठभेड़ में हत्या या फिर अब अतीक-अशरफ की हत्या इसी श्रेणी में है। ये अराजकता लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है। प्रशासन की एकस्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग की ये प्रवृत्ति लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है। पुलिस को एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह मनमाने तरीके से न्याय करने से बचना चाहिए। 

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याचिका में आगे कहा गया है कि इस तरह की फर्जी पुलिस मुठभेड़ों की कानून के तहत कोई जगह नहीं है। जब पुलिस "डेयर डेविल्स" बन जाती है तो कानून का पूरा शासन ध्वस्त हो जाता है और पुलिस के खिलाफ लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है, जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है। याचिका में कहा गया है कि एक लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। सजा की शक्ति केवल न्यायपालिका में निहित है।

बता दें कि अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की शनिवार को उस समय हत्या कर दी गई जब वह पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद से यूपी पुलिस पर कई सवाल उठ रहे हैं। इसके पहले अतीक बेटे असद और उसके करीबी गुलाम को पुलिस ने एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा था कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के छह वर्षों में 183 अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया है।