कोरोना के साए में मनाया जा रहा चिथिरई महोत्सव, भक्तों ने ऑनलाइन किए दर्शन
कोरोना के बीच पारंपरिक चिथिरई का 12 दिवसीय महोत्सव मनाया जा रहा है, देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर के विवाह में शामिल हुए भगवान कल्लाज्हागा, भक्तों को प्रवेश की नहीं मिली अनुमति
तमिलनाडु के मदुरई स्थित मीनाक्षी मंदिर में पारंपरिक चिथिरई त्योहार कोरोना प्रोटोकॉल्स का ध्यान रखते हुए मनाया जा रहा है। मीनाक्षी मंदिर में अप्रैल और मई माह में 12 दिनों तक चिथिरई त्योहार मनाया जाता है। यह मदुरै के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। महामारी से पहले इस त्योहार पर लाखों भक्त मंदिर में दर्शन करने पहुंचते थे। लेकिन दो साल से कोरोना महामारी की वजह से यह त्योहार बिना किसी धूमधाम के केवल मंदिर के कर्मचारियों की मौजूदगी में मनाया गया।
#WATCH | Tamil Nadu: 'Vaigai' festival being celebrated inside Lord Sundararaja Perumal Temple premises in Alagar Koyil, Madurai today. In the wake of #COVID19 pandemic, the temple mgmt authority has decided to celebrate the festival without the participation of common devotees. pic.twitter.com/AXjS9PqWx7
— ANI (@ANI) April 27, 2021
हिंदू पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार कल्लाज्हागा सोने के घोड़े पर सवार होकर अपनी बहन मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की शादी में शामिल होने आए थे। लोक मान्यता के अनुसार भगवान शिव सुंदरेश्वर के रूप में अपने गणों समेत मीनाक्षी देवी से शादी करने मदुरै आए थे। मीनाक्षी को देवी को पार्वती का अवतार कहा जाता है। इस 12 दिवसीय चिथिरई महोत्सव में कई धार्मिक संस्कार होते हैं, जिसमें मीनाक्षी देवी का राज्याभिषेक, रथ उत्सव और देवताओं का विवाह समेत कई रस्में शामिल हैं। चिथिरई महोत्सव की समाप्ति भगवान विष्णु के अवतार भगवान कल्लाज्हगा को मंदिर में वापस लाने के साथ होती है।
मदुरई चिथराई महोत्सव का प्रतिष्ठित आयोजन कोरोना की वजह से एल्गर मंदिर परिसर में आयोजित किया गया। यहां एक कृत्रिम नदी बनाई गई है
मंदिर परिसर में होने वाले आयोजनों को स्क्रीन के जरिए देखा जा सकेगा वहीं सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए आयोजन में शामिल हो सकेंगे। मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में 12 दिवसीय चिथिरई महोत्सव की धूम मची है। कोरोना महामारी की वजह से यह दूसरा साल है, जब भक्तों को इस उत्सव के किसी अनुष्ठान शामिल होने की परमीशन नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन दर्शन का इंतजाम किया गया है। केवल पूर्वी और दक्षिणी टावर के माध्यम से, सुबह और शाम मंदिर के अंदर दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए समय स्लॉट तय किया गया है।