राहुल गांधी के समर्थन में उतरी सिविल सोसायटी, 1004 लोगों के हस्ताक्षर से जारी बयान में लोकतंत्र बचाने का आह्वान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मामले को लेकर सिविल सोसायटी के लोगों ने गहरी चिंता जताई है। 1004 लोगों के हस्ताक्षर से जारी बयान में लोगों से लोकतंत्र बचाने के लिए सामने आने का आह्वान किया गया है।

नई दिल्ली। दो साल जेल और संसद सदस्यता खत्म किए जाने के बाद अब केंद्र सरकार ने राहुल गांधी को घर खाली करने को कहा है। राहुल गांधी ने 12 तुगलक लेन स्थित बंगला खाली करने की सहर्ष स्वीकृति दे दी है। राहुल गांधी के विरुद्ध इस कार्रवाई को लेकर देशभर में आक्रोश है। राहुल के समर्थन में अब नागरिक समाज के लोग भी उतर आए हैं। सिविल सोसायटी ने 1004 विभिन्न क्षेत्रों में कार्यकर्ता हस्तियों के हस्ताक्षर से बयान जारी कर लोकतंत्र बचाने का आह्वान किया है।
इसमें लिखा गया है कि, 'लोकसभा से कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता खत्म किए जाने से साबित होता है कि आज हमारे देश में लोकतंत्र को किस तरह किस तरह के लोग चला रहे हैं। मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दो साल की जेल की सजा दी गई है, जिससे फैसले के उद्देश्य पर भी संदेह पैदा होता है। अदालती फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने जिस बिजली की गति से राहुल गांधी को सदन की सदस्यता से वंचित करने का काम किया और उच्च न्यायालयों द्वारा निचली अदालत के आदेश पर रुख का इंतजार तक नहीं किया, उससे देश के न्यायविद् भी अचंभित हैं।'
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सिविल सोसायटी के लोगों ने आगे लिखा, 'राहुल गांधी को दोषी ठहराकर सजा सुनाना और फिर उनकी लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दिए जाने से संसद में बैठे लोगों ने न्यायपालिका और संसद दोनों का अपमान किया है। यह बिल्कुल साफ है कि राहुल गांधी को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे खुलकर संसद के अंदर और संसद के बाहर मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे। ऐसे में यह पूरा प्रकाण न सिर्फ समूचे विपक्ष पर हमला है बल्कि लोकतंत्र के दो स्तंभों न्यायपालिका और संसद को कमजोर करने वाला है।'
1004 teachers, artists scientists, cultural workers and civil society members express concern over Rahul Gandhi's conviction in a defamation case and disqualification from Lok Sabha @DeccanHerald pic.twitter.com/K0agu67Xut
— Shemin (@shemin_joy) March 28, 2023
बयान में आगे लिखा गया है, 'हम इस बात को रेखांकित करना चाहते हैं कि लोगों की तरफ से बोलना और सरकार को उसके कामों के लिए जिम्मेदार ठहराना विपक्ष का कर्तव्य है। अगर न्यायपालिका समेत सभी सरकारी संस्थाएं सिर्फ विपक्ष के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल की जाएंगी तो लोकतंत्र की मृत्यु तय है। हम निरंतर विपक्षी नेताओं का उत्पीड़न देख रहे हैं। कभी जांच एजेंसियां उन्हें परेशान करती हैं तो कभी उन्हें जेल में डाल दिया जाता है। इसी तरह सत्तारूढ़ दल द्वारा संसद की कार्यवाही को जिस तरह बाधित किया जा रहा है वह भी चिंताजनक स्थिति है। सदन के सभापतियों द्वारा विपक्षी नेताओं को अपनी बात रखने और लोगों के मुद्दे उठाने नहीं दिया जा रहा है, यह लोकतंत्र का ह्रास है।'
सिविल सोसायटी ने देशवासियों से आह्वान करते हुए लिखा, 'राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्यवाही को विपक्षी नेताओं को बदनाम करने और पूरे लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने की कोशिशों के तौर पर देखा जाना चाहिए। हम लोगों से अपील करते हैं कि वे उठें और देश और संसदीय लोकतंत्र को बचाने और अपने नागरिक हितों की रक्षा के लिए सामने आएँ।' देशवासियों के नाम बयान जारी करने वालों में लेखक गौहर राजा, प्रोफेसर अपूर्वानंद, एक्टिविस्ट शबनाम हाशमी, महात्मा गांधी के परपौत्र तुषार गांधी, इतिहासकार मृदुला मुखर्जी, संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा और मणिशंकर अय्यर जैसी हस्तियां शामिल हैं।