जितनी आबादी, उतना हक: कांग्रेस अध्यक्ष ने PM को पत्र लिखकर जातिगत जनगणना कराने की उठाई मांग
राहुल गांधी ने भी रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी थी। साथ ही आरक्षण पर से 50 फीसदी की सीमा हटाने की मांग की थी।

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले देश में जाति आधारित जनगणना की मांग तेज होने लगी है। राहुल गांधी के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी जातीय जनगणना की मांग उठाई है। खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि 2021 में जो जनगणना होनी चाहिए थी, उसे तुरंत किया जाए और जातिगत जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाए। उन्होंने तर्क दिया है कि इससे सामाजिक न्याय और अधिकारिता को मजबूती मिलेगी।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने खड़गे का यह पत्र ट्विटर पर शेयर कर "जितनी आबादी, उतना हक़" का नारा दिया है। पीएम मोदी को संबोधित इस पत्र में खड़गे ने लिखा है कि, "मैं एक बार फिर से नवीनतम जाति जनगणना के लिए आधिकारिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग को रखने के लिए आपको पत्र लिख रहा हूं। मेरे सहयोगियों ने और मैंने पहले भी कई अवसरों पर संसद के दोनों सदनों में इस मांग को उठाया है। कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस मांग को रखा है।"
जितनी आबादी, उतना हक़!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 17, 2023
कांग्रेस अध्यक्ष @kharge जी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि 2021 की दशकीय जनगणना जल्द से जल्द कराई जाए। साथ ही जाति जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए। इससे सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण को मजबूती मिलेगी। pic.twitter.com/OqndX2o0zn
खड़गे आगे लिखते हैं, "आप जानते हैं कि यूपीए सरकार ने पहली बार 2011-12 के दौरान करीब 25 करोड़ परिवारों को कवर करते हुए सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) कराई थी। मई 2014 में आपकी सरकार आने के बाद कांग्रेस और अन्य सांसदों ने इसे जारी करने की मांग की, लेकिन कई कारणों से जातिगत आंकड़े प्रकाशित नहीं किए गए।"
उन्होंने आगे लिखा, "मुझे आशंका है कि नवीनतम जाति जनगणना के अभाव में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों, विशेष रूप से ओबीसी के उत्थान के लिए आवश्यक डेटा बेस अधूरा है। यह जनगणना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। मैं यह भी बताना चाहता हूं कि 2021 में दशवार्षिक जनगणना होनी थी, लेकिन अभी तक नहीं हो पाई है। हम मांग करते हैं कि इस तुरंत किया जाए और व्यापक जातिगत जनगणना को इसका अभिन्न अंग बनाया जाए।"
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इससे पहले राहुल गांधी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2011 की जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी थी। राहुल गांधी ने कहा, "सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत में कितने ओबीसी, आदिवासी और दलित हैं।अगर हम धन और सत्ता के बंटवारे की बात करते हैं, तो उनकी आबादी के आकार का पता लगाना पहला कदम होना चाहिए। कृपया जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करें ताकि देश को पता चले कि ओबीसी, दलितों और आदिवासियों की जनसंख्या कितनी है। साथ ही, आरक्षण पर से 50 प्रतिशत की सीमा को हटा दें।"
जितनी आबादी, उतना हक़!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 16, 2023
जातीय जनगणना हर वर्ग को सही प्रतिनिधित्व देने का आधार है, वंचितों का अधिकार है। pic.twitter.com/s7IYWjfpil
राहुल गांधी ने इस दौरान बताया कि केंद्र सरकार में सचिव के रूप में केवल 7 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां, दलित और आदिवासी हैं। बता दें कि बिहार सरकार ने पहले ही जाति आधारित जनगणना का ऐलान कर चुकी है। पहला फेज कम्प्लीट भी चुका है। दूसरे फेज की जनगणना 15 अप्रैल से शुरू हुई है। बिहार सरकार इसके लिए जातियों के कोड भी जारी कर दिए हैं। इसमें हर जाति को अलग-अलग कोड दिया गया है।