कोरोना संक्रमण के डर से बेटे की हत्या

देश में अपने तरह का ये पहला मामला है, जिसमें एक पिता ने संक्रमण के डर से अपने बेटे की हत्या कर दी।

Publish: May 09, 2020, 12:51 AM IST

लॉकडाउन में जब पूरा देश बंद हुआ तो दूसरे राज्यों में फंसे हज़ारों लोगों ने पैदल ही अपने गांव और घर लौटना शुरू कर दिया। ऐसे ही एक युवक हैदराबाद से पैदल चलकर बालाघाट अपने गांव लौटा। अपने परिवार से मिलने पहुंचे इस शख्स को क्या मालूम था कि  हैदराबाद से बालाघाट का ये सफर उसकी ज़िन्दगी का आखिरी सफर होगा। जिस परिवार से मिलने के लिए वो मीलों पैदल चला, कई दिन भूखा रहा वो परिवार ही उसे मौत की सजा दे देगा।

जी हाँ, ये कहानी नहीं हकीकत है। घटना बालाघाट के बैहर तहसील की है। जहां एक पिता ने अपने बेटे की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी कि कहीं उसकी वापसी अपनों की मौत का कारण ना बन जाए।

बेटा क्वारेंटाइन सेंटर से लौटा था

टेकचंद नामक युवक फरवरी में मजदूरी करने सिकंदराबाद गया था। लॉकडाउन लागू होने पर जब मज़दूरी का काम भी बंद हो गया  तो टेकचंद ने साथी मजदूरों के साथ पैदल सिकंदराबाद से बालाघाट तक का सफर तय करने का निर्णय लिया। एक सप्ताह पैदल चलने के बाद सभी 1 मई को तहसील बैहर पहुंचे। जहां पर प्रशासन ने सभी को एक दिन के लिए क्वॉरनटीन में रखा। फिर ग्राम पंचायत कुगांव में दो दिन रखा गया और चौथे दिन सभी को होम क्वारेंटाइन होने का कहकर घर भेज दिया गया।

पिता ने घर में नहीं रहने दिया

टेकचंद जब घर आया तो पिता भीमालाल ने कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते उसे घर में नहीं आने दिया। पिता चाहता था कि उसका बेटा कुछ दिन और  गांव के क्वारेंटाइन सेंटर में रहे। इसी बात पर दोनों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि पिता ने डंडे से टेकचंद के सिर पर तीन-चार वार कर दिए। जिससे टेकचंद बुरी तरह घायल हो गया। परिजनों ने उसे बैहर अस्पताल में भर्ती कराया। युवक की हालत काफी गंभीर थी। इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

देश में अपने तरह का ये पहला मामला है, जिसमें एक पिता ने अपने ही बेटे की हत्या इस डर से कर दी कि वह हैदराबाद जैसे रेड जोन से लौटा है और उस के घर आने से कोरोना फैल सकता है। बेटे की हत्या के बाद आरोपी पिता को बैहर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।