भिंड के गोहद में खुदाई के दौरान मटकी से निकले 113 चांदी के सिक्के, मुगलकालीन होने की संभावना
भिंड जिले के गोहद में जलावर्धन योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने के लिए हो रही खुदाई के दौरान फावड़े से मिट्टी की एक मटकी टकराई मटकी को खोला गया, तो सभी चौंक गए। मटकी में 113 चांदी के सिक्के थे, जो चमचमा रहे थे।

भिंड| भिंड जिले के गोहद में जलावर्धन योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने के लिए हो रही खुदाई के दौरान एक दुर्लभ घटना सामने आई। गुरुवार को वार्ड क्रमांक 11 में मजदूर जब खुदाई कर रहे थे, तभी फावड़े से मिट्टी की एक मटकी टकराई। जब मटकी को बाहर निकाला गया और उसे खोला गया, तो सभी चौंक गए। मटकी में 113 चांदी के सिक्के थे, जो चमचमा रहे थे। इन सिक्कों पर फारसी और उर्दू भाषा में "मोहम्मद शाह" और "आलमगीर" लिखा हुआ है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये सिक्के मुगलकालीन काल से संबंधित हो सकते हैं।
सिक्के मिलने की खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई, और देखते ही देखते वहां भीड़ इकट्ठा हो गई। स्थानीय निवासी रामकुमार गुर्जर मटकी को सिक्कों सहित अपने घर ले गया। घटना की सूचना मिलते ही गोहद थाना प्रभारी मनीष धाकड़ अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और रामकुमार के घर से मटकी को बरामद किया। पुलिस ने सिक्कों को जब्त कर सरकारी ट्रेजरी में सुरक्षित रखवा दिया।
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स्थानीय मजदूरों ने बताया कि मटकी करीब चार फीट गहराई पर मिली थी। खुदाई के दौरान मजदूरों को मटकी मिलने के बाद घर के मालिक ने उन्हें काम बंद करने और वहां से जाने को कह दिया। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस जगह पर सिक्के मिले हैं, वहां रहने वाले परिवार कई पीढ़ियों से उस जगह पर रहते आ रहे हैं।
पुरातत्व विभाग को सिक्कों की सूचना दे दी गई है। विभाग की एक टीम शुक्रवार को ग्वालियर से आकर सिक्कों का परीक्षण करेगी। विशेषज्ञ यह पता लगाएंगे कि सिक्के कितने पुराने हैं और उनका ऐतिहासिक महत्व क्या है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, सिक्कों पर अंकित शब्दों और डिजाइनों से यह संभावना जताई जा रही है कि यह खजाना मुगल काल का हो सकता है।
गोहद नगर का ऐतिहासिक महत्व पहले से ही जाना जाता है। 15वीं शताब्दी में जाट राजा सिंह देव द्वारा बनवाए गए गोहद किले के कारण यह स्थान ऐतिहासिक धरोहरों में गिना जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि यह खजाना संभवतः उसी कालखंड से संबंधित हो सकता है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि यह खजाना किसी व्यक्ति ने चोरी-डकैती के डर से यहां दफना दिया होगा। फिलहाल प्रशासन और पुरातत्व विभाग की जांच के बाद ही इन सिक्कों के ऐतिहासिक महत्व और उनके कालखंड की सटीक जानकारी मिल सकेगी।