कोरोना इलाज के नाम पर लूट

मरीज को जबरन 7 दिन तक अस्पताल में रखा भर्ती,  26 अप्रैल को नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद 2 मई को किया डिस्चार्ज

Publish: May 07, 2020, 11:14 PM IST

Photo courtesy : outlook
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इंदौर में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। और अब इसी का फायद उठाकर यहां मरीजों से कोरोना के नाम पर लूट के मामले उजागर होने लगे हैं। जिनमें कोरोना की रिपोर्ट के नेगेटिव आने पर भी बिल बढ़ाने के लिए मरीजों को जबरन अस्पताल में भर्ती रखा जा रहा है। मामला इंदौर के गोकुलदास हॉस्पिटल का है, जहां एक कोरोना मरीज की रिपोर्ट 26 अप्रैल को आने के बाद भी मरीज को 2 मई तक कोरोना संदिग्ध बताकर जबरन भर्ती रखा गया। अस्पताल प्रबंधन ने मरीज से 2 मई तक का कुल 76 हजार रुपए बिल भरवाया।

इंदौर निवासी 59 वर्षीय ओमप्रकाश पांडे को तेज बुखार की शिकायत के बाद 24 अप्रैल को गोकुलदास हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। ओमप्रकाश को निमोनिया की शिकायत थी, अस्पताल में इलाज के बाद वह 28 अप्रैल तक ठीक हो चुके थे। इसके बाद जब उनके परिजनों ने हॉस्पिटल प्रबंधन से छुट्टी करवाने की बात की तो अस्पताल ने कोरोना संदिग्ध बताकर भर्ती रखा, और अगले चार दिनों तक भी परिजनों को मरीज की कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट की जानकारी नहीं दी गई।

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परिजनों के सब्र का बांध टूटा

मरीज की बहू नम्रता पांडे की मानें तो अस्पताल प्रबंधन रिपोर्ट के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दे रहा था। वे लोग सिर्फ इंतजार करने की बात कह रहे थे। ज्यादा जोर देने पर 2 मई को शाम रिपोर्ट देने की बात कही। इसी बीच परिजनों ने छोटी ग्वालटोली थाने के जरिए कोरोना रिपोर्ट की जानकारी खुद ही पता कर ली। जिसमें पता चला कि 26 अप्रैल को ही ओमप्रकाश पांडे की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी है। जबकि गोकुलदास हॉस्पिटल ने इस बात की जानकारी मरीज से 2 मई तक छुपाए रखी। और मरीज के परिजनों से 2 मई तक का 76 हजार रुपए बिल जबरन भरवाया और तब जाकर अस्पताल से डिस्चार्ज किया।

थाने में दर्ज करवाई शिकायत

मरीज की बहू नम्रता पांडेय ने बुधवार रात इस मामले में पुलिस में लिखित में शिकायत दर्ज करवाई है।  नम्रता का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन की इस हरकत के कारण उनके परिवार की जो मानसिक स्थिति हो गई थी उसे बयां नहीं किया जा सकता।