एलीफेंट व्हिस्पर्स के ऑस्कर पर जयराम रमेश का केंद्र पर तंज, बोले उम्मीद है वन्यजीव अधिनियम के संशोधन वापस लेगी मोदी सरकार
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में मोदी सरकार ने संशोधन किया है, जिससे हाथियों के व्यापार पर एक तरह से छूट दे दी गई है

नई दिल्ली। डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फ़िल्म की श्रेणी में द एलीफेंट व्हिस्पर्स को अवॉर्ड मिलने पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर तंज कसा है। कांग्रेस नेता ने यह तंज वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में मोदी सरकार द्वारा किए गए बदलाव को लेकर कसा है। जयराम रमेश ने कहा है कि वह उम्मीद करते हैं कि यह मोदी सरकार को हाथियों के लिए प्रतिकूल संशोधन को वापस लेंगे।
जयराम रमेश ने कहा कि एलीफेंट व्हिस्पर्स का ऑस्कर जीतना बेहद सुखद है। शायद उसका ऑस्कर जीतना मोदी सरकार को हाथियों के लिए प्रतिकूल वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में किए गए संशोधन को वापस लेने पर मजबूर कर देगा। 2010 में हाथी को नेशनल हेरिटेज का दर्जा दिया गया था।
It is wonderful that The Elephant Whisperers has won an Oscar. Maybe this will force the Modi govt not to press ahead with the widely opposed elephant-unfriendly amendments to the Wild Life Protection Act, 1972. In 2010 the elephant had been declared the national heritage animal.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 13, 2023
दरअसल मोदी सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में एक संशोधन किए हैं, जिसे हाथियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा करने योग्य कदम बताया जा रहा है। केंद्र सरकार ने लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर रोक लगाने के लिए कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजियर्ड स्पीसेज के तहत यह संशोधन लागू किए हैं। जिसके तहत राज्य वन्यजीव बोर्ड की जगह छोटे दर्ज की समितियां बनाने प्रावधान किया गया है। इस कदम से इन समितियों के पास फैसला न ले पाने की क्षमता और पर्याप्त शक्ति न होने की बात कही जा रही है, जिस वजह से वन्यजीव का व्यापार बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
संशोधन से कैसे है हाथियों को खतरा?
इस कानून के तहत पहले हाथियों के व्यापार पर रोक लगी हुई थी। हाथी को वही पाल सकता था जिसे हाथी पूर्वजों से विरासत में मिला हो। ऐसा व्यक्ति हाथी को ट्रांसफर तो कर सकता था लेकिन इसके बदले वह पैसों की लेन देन नहीं कर सकता था। हालांकि इस नए संशोधन से हाथियों को बाहर कर दिया गया है। यह अधिनियम पकड़े गए हाथियों के स्थानांतरण और परिवहन की अनुमति देता है। जिस वजह से हाथियों के विलुप्त होने की आशंका बढ़ गई है।
इस अधिनियम को पहली बार दिसंबर 2021 में पेश किया गया था। जिसे पिछले मॉनसून सत्र के दौरान पारित कर दिया गया। वन्यजीव व जलवायु परिवर्तन पर संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश ने उस दौरान भी इस अधिनियम का विरोध किया था। जयराम रमेश ने कहा था कि इसके प्रावधानों में सिर्फ धार्मिक उद्देश्य के लिए हाथियों के स्थानांतरण की छूट दी जानी चाहिए।