भ्रामक विज्ञापन मामले में बैकफुट पर बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि, सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि कोर्ट के आदेश के बाद प्रकाशित कुछ विज्ञापनों में गलती से ऐसे दावे लिख दिए गए जिन्हें कोर्ट ने लिखने से मना किया था.. भविष्य में ऐसा नहीं होगा।

Updated: Mar 21, 2024, 01:37 PM IST

नई दिल्ली। गुमराह करने वाले विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के को-फाउंडर स्वामी रामदेव और पतंजलि के MD आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में हाजिर होने को कहा था। सर्वोच्च अदालत की सख्ती देख पतंजलि के हाथ पांव फूल गए हैं। कंपनी ने न्यायालय में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है।

कंपनी ने अपने माफीनामे में भ्रामक विज्ञापन को फिर से प्रसारित न करने का भी वादा किया गया है। आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि कंपनी के मीडिया विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी। उनका कहना है कि इसका उद्देश्य नागरिकों को पतंजलि के प्रोडक्ट का उपभोग करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले दवा विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव (पतंजलि के को-फाउंडर) और पतंजलि के MD आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने को कहा है। कंपनी और आचार्य बालकृष्ण ने नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया, जिसकी वजह से यह आदेश जारी किया गया था।

इससे पहले जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को पहले जारी किए गए नोटिसों का जवाब दाखिल न करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी। पूछा गया था कि अदालत को दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।