400 से अधिक भारतीय खाद्य उत्पादों में कीटनाशक और फंगस, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 और 2024 के बीच भारत के 400 से अधिक निर्यात गुणवत्ता वाले उत्पादों को यूरोपीय संघ ने अत्यधिक दूषित होने के रूप में चिह्नित किया था।

Updated: May 10, 2024, 10:12 AM IST

भारतीय मसालों व अन्य खाद्य उत्पादों को लेकर एक के बाद एक चौंकाने वाली खबरें सामने आ रही हैं। मसालों में कैंसर कारक तत्वों की मौजूदगी संबंधी हालिया रिपोर्ट्स ने निश्चित रूप से इस बात की चिंता बढ़ा दी हैं कि क्या आज के दौर में खाना सुरक्षित है?अब एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि यूरोपियन यूनियन ने 2019 से 2024 के बीच 400 से ज्यादा भारत से आयात किए जा रहे खाद्य प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। खाद्य पदार्थों में कीटनाशक और फंगस मिलने की वजह से ये कदम उठाया गया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 और 2024 के बीच भारत के 400 से अधिक निर्यात गुणवत्ता वाले उत्पादों को यूरोपीय संघ ने अत्यधिक दूषित होने के रूप में चिह्नित किया था। डेक्कन हेराल्ड द्वारा 400 भारतीय खाद्य उत्पादों की पीडीएफ सूची के साथ प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 14 प्रोडक्ट्स विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाने या डैमेज करने के लिए जाने जाते हैं और अन्य उत्पादों के अलावा मछली समेत सी-फूड में मरकरी और कैडमियम जैसे खतरनाक धातु पाए गए हैं।

इसमें कहा गया है कि ऑक्टोपस और स्क्विड समेत 21 उत्पादों में कैडमियम था, जिससे क्रोनिक किडनी रोग, हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कम से कम 59 उत्पादों में ऐसे कीटनाशक होते हैं जिन्हें कैंसरकारी (कैंसर की वजह) माना जाता है। इनमें कार्सिनोजैनिक कैमिकल पाया गया। चावल, जड़ी-बूटियों और मसालों में पाए जाने वाले रसायनों में ट्राइसाइक्लाज़ोल भी शामिल है, जो अपने कार्सिनोजेनिक और जीनोटॉक्सिक गुणों के कारण यूरोपीय संघ में प्रतिबंधित हैं। इसके अलावा, 52 से अधिक उत्पादों में एक से अधिक कीटनाशक या फंगस पाए गए, कुछ में तो पांच से भी ज्यादा कीटनाशक पाए गए हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लगभग 20 उत्पादों में 2-क्लोरोएथेनॉल मिला, जो एथिलीन ऑक्साइड का एक जहरीला उपोत्पाद (Toxic Byproduct) है। इसमें कहा गया है कि ओक्रेटॉक्सिन ए, एक प्रतिबंधित मायकोटॉक्सिन, मिर्च, कॉफी और चावल सहित 10 उत्पादों में पाया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल्मोनेला 100 अन्य उत्पादों के अलावा जैविक शतावरी, अश्वगंधा और तिल के बीज में पाया गया था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मूंगफली के दानों और अखरोट क्रैकर्स में एफ्लाटॉक्सिन, एक जहरीला कार्सिनोजेन और म्यूटाजेन पाया गया जो लिवर को नुकसान पहुंचाने के साथ ही कैंसर का कारण बन सकता है।