लव जिहाद विवाद में NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा को पद से हटाने की मांग, बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर

Love Jihad Controversy: मोदी सरकार संसद में लिखकर जवाब दे चुकी है कि देश में लव जिहाद का कोई अस्तित्व नहीं है, फिर भी रेखा शर्मा ने ट्वीट में लव जिहाद के बढ़ते खतरे की बात की थी, RTI एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इसी आधार पर उन्हें हटाने की मांग की है

Updated: Oct 29, 2020, 12:27 AM IST

Photo Courtesy: Twitter
Photo Courtesy: Twitter

मुंबई। आरटीआई एक्टिविस्ट और पूर्व पत्रकार साकेत गोखले ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करके राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा को उनके पद से हटाने की मांग की है। साकेत गोखले ने यह याचिका रेखा शर्मा के कथित लव जिहाद से जुड़े एक ट्वीट को आधार बनाते हुए दायर की है। गोखले ने रेखा शर्मा के ट्वीट को मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला बताते हुए कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो रेखा शर्मा को पद से हटाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को निर्देश जारी करे।  

साकेत गोखले ने अपनी इस याचिका की जानकारी ट्विटर पर भी दी है। गोखले ने अपने ट्वीट में लिखा है, “मैंने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा को “लव जिहाद” का सांप्रदायिक आह्वान करने और गलत और राजनीतिक पक्षपात पूर्ण ट्वीट के लिए हटाने की मांग की गई है। मैंने कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो रेखा शर्मा को हटाने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को आदेश दे, क्योंकि इन हालात में वे NCW का नेतृत्व करने योग्य नहीं हैं।"

रेखा शर्मा ने मुस्लिमों के बारे में गलत धारणा फैलाई: गोखले
साकेत गोखले ने अपनी याचिका में कहा है कि महिला आयोग की अध्यक्ष ने अपने एक ट्ववीट में लव जिहाद की थ्योरी का इस्तेमाल मुसलामानों के खिलाफ गलत धारणा स्थापित करने के लिए किया। लिहाज़ा रेखा शर्मा को एक ज़िम्मेदार पद पर बने रहने देना उचित नहीं है। साकेत गोखले ने कहा है कि रेखा शर्मा का कथन समाज में वैमनस्य फैलाने वाला बयान है।  

दरअसल हाल ही में महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने ट्ववीट किया था कि उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात करके लव जिहाद के बढ़ते मामलों और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की थी। रेखा शर्मा के इस ट्ववीट का काफी विरोध हुआ था। सोशल मीडिया पर रेखा शर्मा के इस्तीफे की मांग भी तभी से उठ रही है। 

 

 

हम आपको बता दें कि खुद मोदी सरकार इसी साल फरवरी में संसद में दिए एक लिखित जवाब में यह मान चुकी है कि भारतीय कानूनों के तहत लव जिहाज जैसा कोई अपराध मौजूद ही नहीं है और न ही 'लव जिहाद' से जुड़ा कोई मामला किसी केंद्रीय जांच एजेंसी के संज्ञान में आया है। मोदी सरकार की तरफ से संसद में यह जवाब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कांग्रेस सांसद बेन्नी बेहनान के सवाल के जवाब में दिया था।

रेड्डी ने अपने जवाब में कहा था कि लव जिहाद जैसा कोई शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं है। हमारा संविधान किसी भी धर्म को स्वीकारने, उस पर अमल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है। उन्होंने कहा था कि केरल उच्च न्यायालय सहित कई अदालतों ने इस विचार को सही ठहराया है।