लोकसभा में नेता विपक्ष बने राहुल गांधी, राजीव-सोनिया के बाद इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य
नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल को कई शक्तियां और अधिकार मिल जाएंगे। वे प्रधानमंत्री के साथ चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले प्रमुख पैनल का हिस्सा होंगे।
नई दिल्ली। रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। पार्टी ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक के बाद इसकी घोषणा की। इसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि माहताब को इस संदर्भ में पत्र लिखा। बुधवार को पहला दिन था जब राहुल गांधी नेता विपक्ष के तौर पर संसद पहुंचे।
राहुल गांधी संसद में कुरता-पायजामा में नजर आए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया। दोनों नेता एक दूसरे से हाथ मिलाकर बातें करते दिखे। ओम बिरला जब 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए तो दोनों नेता राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें आसन तक साथ लेकर गए। यह एक संसदीय परंपरा है। लोकसभा अध्यक्ष को निष्पक्ष माना जाता है। उसे सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष के हितों का भी ध्यान रखना पड़ता है। इसी वजह से नेता सदन और नेता विपक्ष उन्हें आसन तक लेकर जाते हैं और उन्हें बधाई देते हैं।
राहुल अपने 20 साल के राजनीतिक करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद संभालेंगे। चुंकी, UPA सरकार में उन्होंने कोई पद नहीं लिया था। वे इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य होंगे। इससे पहले उनके पिता और पूर्व PM राजीव गांधी 1989-90 और मां सोनिया गांधी 1999 से 2004 तक इस पद पर रह चुकी हैं।
नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल को कई शक्तियां और अधिकार मिल जाएंगे। वे प्रधानमंत्री के साथ चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले प्रमुख पैनल का हिस्सा होंगे। इसके अलावा राहुल लोकपाल, ED-CBI डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, NHRC प्रमुख को चुनने वाले समितियों के भी सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री इन समितियों के अध्यक्ष होते हैं। ऐसा पहली बार ऐसा होगा, जब इन पदों पर नियुक्ति के फैसलों में प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी से सहमति लेनी होगी।