लाइब्रेरी तक छात्रों की पहुंच नहीं, छात्रवृत्ति पोर्टल भी नाकाम, राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वंचित समुदायों के छात्रों को शिक्षा हासिल करने में आ रही समस्याओं का निवारण करने का अनुरोध किया है।

Updated: Jun 11, 2025, 02:57 PM IST

नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वंचित समुदायों के छात्रों को शिक्षा हासिल करने में आ रही समस्याओं का निवारण करने का अनुरोध किया है। कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में बिहार के दरभंगा स्थित अंबेडकर छात्रावास में छात्रों की परेशानियों का भी जिक्र किया है।

पीएम मोदी को संबोधित पत्र में राहुल गांधी ने दो महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने का अनुरोध किया। दरअसल, राहुल गांधी हाल ही में बिहार दौरे के दौरान दरभंगा पहुंचे थे। यहां वह अंबेडकर छात्रावास पर पहुंचे थे, जहां छात्रों ने अपनी परेशानियों से राहुल गांधी को अवगत कराया था।

राहुल ने पीएम मोदी से कहा कि मैं आपसे दो महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने का अनुरोध करता हूं जो वंचित समुदायों के 90 प्रतिशत छात्रों के लिए शिक्षा के अवसरों में बाधा डालते हैं। सबसे पहले, दलित, एसटी, ईबीसी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए आवासीय छात्रावासों की स्थिति बहुत खराब है।

राहुल गांधी ने कहा कि बिहार के दरभंगा में अंबेडकर छात्रावास के हाल के दौरे के दौरान छात्रों ने शिकायत की कि एक ही कमरा है जिसमें 6-7 छात्रों को रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है, शौचालय गंदे हैं, पीने का पानी असुरक्षित है, मेस की सुविधा नहीं है और पुस्तकालयों या इंटरनेट तक पहुंच नहीं है। पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में देरी और इसमें विफलताएं भी मिल रही हैं।

राहुल गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में, छात्रवृत्ति पोर्टल तीन साल तक काम नहीं कर रहा था और 2021-22 में किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति नहीं मिली। इसके बाद भी, छात्रवृत्ति पाने वाले दलित छात्रों की संख्या में लगभग आधी गिरावट आई, जो वित्त वर्ष 23 में 1.36 लाख से घटकर वित्त वर्ष 24 में 0.69 लाख रह गई। छात्रों की शिकायत है कि छात्रवृत्ति की राशि अपमानजनक रूप से कम है। मैंने बिहार के उदाहरण दिए हैं, लेकिन ऐसी विफलताएं पूरे देश में फैली हुई हैं।

राहुल गांधी ने पत्र में आगे कहा, 'मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि इन विफलताओं को दूर करने के लिए तुरंत दो कदम उठाए जाएं। दलित, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के विद्यार्थियों के लिए प्रत्येक छात्रावास का ऑडिट किया जाए ताकि अच्छी अवसंरचना, स्वच्छता, भोजन और शैक्षणिक सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें; तथा कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जाए। मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति का समय पर वितरण, छात्रवृत्ति राशि में वृद्धि, तथा राज्य सरकारों के साथ मिलकर कार्य करते हुए क्रियान्वयन में सुधार किया जाए।'