सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को प्रदूषण नियंत्रण में नाकामी पर लगाई फटकार, केंद्र को भी दिए सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनने की ओर बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है।
दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि सरकार प्रदूषण रोकने के लिए ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है और इसके उपायों से वह संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने खास तौर पर ट्रकों की एंट्री रोकने में हुई खामियों को लेकर सवाल उठाए। अदालत ने कहा कि 113 एंट्री पॉइंट्स पर केवल 13 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो अपर्याप्त हैं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी सभी एंट्री पॉइंट्स पर पुलिस तैनात करने और निगरानी के लिए एक लीगल टीम बनाने का सुझाव दिया गया।
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने दिल्ली सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ट्रकों की एंट्री पर रोक लगाने के लिए कोई मैकेनिज्म नहीं बनाया गया है। अदालत ने पूछा कि क्या यह सुनिश्चित किया गया है कि दिल्ली में प्रवेश करने वाले ट्रक केवल जरूरी सामान ही ला रहे हैं। सरकार ने स्वीकार किया कि उनके पास जरूरी सामानों की सूची नहीं है, जिससे साफ होता है कि चेकिंग नहीं हो रही।
अदालत ने बार काउंसिल के युवा वकीलों को चेकपॉइंट्स पर निगरानी के लिए तैनात करने का सुझाव दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रतिबंधों का पालन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज की भी मांग की और कहा कि इनका इस्तेमाल निगरानी के लिए होना चाहिए। अदालत ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह यह बताए कि किन स्थानों पर चेकपॉइंट्स बनाए गए हैं और वहां तैनात कर्मियों को जरूरी सामानों की पहचान के बारे में जानकारी दी गई है या नहीं।
यह मामला वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह द्वारा उठाया गया था, जिन्होंने दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया। अदालत ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत स्टेज 4 के प्रतिबंध लागू किए गए थे, लेकिन उनका पालन कराने में दिल्ली पुलिस विफल रही है। कोर्ट ने कहा कि GRAP स्टेज 4 के तहत कम से कम तीन दिन तक प्रतिबंधों को लागू रखना जरूरी है।
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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार को कई सख्त निर्देश दिए थे। अदालत ने कहा था कि हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंचने से पहले ही एहतियाती कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि स्वच्छ हवा में सांस लेना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को तय की है।
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत चार चरणों में प्रदूषण स्तर के आधार पर उपाय तय किए गए हैं।
स्टेज I: खराब (AQI 201-300)
स्टेज II: बहुत खराब (AQI 301-400)
स्टेज III: गंभीर (AQI 401-450)
स्टेज IV: गंभीर प्लस (AQI >450)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बनने की ओर बढ़ रहा है, जो चिंताजनक है। सरकार को चाहिए कि वह प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए।