Time Magazine: मोदी राज ने भारत के जीवंत लोकतंत्र को गहरे अंधकार में धकेला

टाइम मैगज़ीन ने पीएम मोदी को दुनिया के 100 सबसे असरदार लोगों में शामिल तो किया, लेकिन बेहद तल्ख टिप्पणी के साथ

Updated: Sep 24, 2020, 05:06 AM IST

Photo Courtsey : TIME
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नई दिल्ली। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शामिल टाइम मैगज़ीन ने दुनिया के सौ सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी शामिल किया है। लेकिन ऐसा करते समय पत्रिका ने पीएम मोदी के बारे में जो बातें लिखी हैं, वो उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाने वाली नहीं हैं। टाइम मैगज़ीन ने नरेंद्र मोदी को दुनिया के सौ सबसे असरदार लोगों की सूची में शामिल करते हुए उनके बारे में कार्ल विक की जो टिप्पणी प्रकाशित की है, वो कुछ इस तरह है :

“पिछले सात दशकों से भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर मशहूर है। इस दौरान भारत में सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते आए हैं, जिसे दलाई लामा ने सद्भाव और शांति की मिसाल बताया है। लेकिन नरेंद्र मोदी ने इन सभी बातों को संदेह के घेरे में ला दिया है। हालांकि भारत के लगभग सभी प्रधानमंत्री देश की 80 फीसदी हिंदू आबादी से ही आते रहे हैं, लेकिन मोदी इस तरह राज कर रहे हैं, मानो किसी और की उनके लिए कोई अहमियत ही नहीं है....उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने बहुलतावाद को खारिज कर दिया है और भारत के मुसलमान तो खास तौर पर उसके निशाने पर हैं। महामारी के हालात ने विरोध को कुचलने का बहाना दे दिया है। जिससे दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और भी गहरे अंधकार में चला गया है।”

Courtesy: TIME

जाहिर है टाइम मैगज़ीन की यह टिप्पणी नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों को तो बुरी लगेगी ही, लेकिन जो लोग उनका समर्थन नहीं करते, उनके लिए भी भारत और उसकी मौजूदा सरकार के बारे में एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका की ऐसी राय होना चिंता में डालने वाली बात है। 

शाहीन बाग की दादी भी टाइम की लिस्ट में शामिल

टाइम मैगज़ीन ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की अपनी लिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा चार अन्य भरतीय लोगों को भी जगह दी है। ये महत्वपूर्ण भारतीय हैं गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, लंदन में रहने वाले भारतीय मूल के डॉक्टर रवींद्र गुप्ता और एक्टर आयुष्मान खुराना। लेकिन प्रभावशाली भारतीयों की इस लिस्ट में सबसे दिलचस्प नाम है शाहीनबाग की बुजुर्ग दादी बिल्कीस बानो का, जो इस साल की शुरुआत में हुए सीएए, एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान काफी मशहूर हुई थीं।