RBI ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, टैरिफ अनिश्चितता के कारण 5.50 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला

RBI गवर्नर ने कहा कि कमेटी के सभी मेंबर्स ब्याज दरों में स्थिर रखने के पक्ष में थे। टैरिफ अनिश्चितता के कारण ये फैसला लिया गया है।

Updated: Aug 06, 2025, 02:17 PM IST

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बार रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। इसे 5.5% पर जस का तस रखा है। यानी लोन सस्ते नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं घटेगी। RBI ने जून में ब्याज दर 0.50% घटाकर 5.5% की थीं।

यह फैसला मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 4 से 6 अगस्त तक चली मीटिंग में लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज यानी 6 अगस्त को इसकी जानकारी दी। RBI गवर्नर ने कहा कि कमेटी के सभी मेंबर्स ब्याज दरों में स्थिर रखने के पक्ष में थे। टैरिफ अनिश्चितता के कारण ये फैसला लिया गया है।

RBI गवर्नर ने कहा कि मानसून सीजन अच्छा चल रहा है। साथ ही, त्योहारों का सीजन भी नजदीक आ रहा है, जो आमतौर पर आर्थिक गतिविधियों में उत्साह और तेजी लाता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। इसमें बदलाव नहीं होने का मतलब है कि ब्याज दरें न तो बढ़ेंगी न घटेंगी।

रेपो रेट उस दर को कहा जाता है, जिस पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अन्‍य बैंकों को पैसा उधार देता है। अब समझिए कि अगर रिजर्व बैंक कम ब्‍याज दर पर अन्‍य बैंकों को पैसा उधार देगा, तो वे बैंक भी ग्राहकों से कम ब्‍याज दर वसूलेंगे। इसका सीधा असर ग्राहकों के होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन पर देखने को मिलेगा। रेपो रेट घटने से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है।

हालांकि, हर बैंक इस कटौती का लाभ अपने ग्राहकों को दें, वे इसके लिए बाध्‍य नहीं हैं। लेकिन स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े सरकारी बैंक आमतौर पर रेपो रेट घटने का लाभ ग्राहकों को देते रहे हैं। अगर कोई बैंक चाहता है कि घटी हुई रेपो रेट का लाभ ग्राहक को न दे, तो वो ऐसा कर सकता है। हालांकि, जब एक बैंक लोन की ब्‍याज दरों में कटौती करता है, तो दूसरे बैंकों पर भी दबाव पड़ता है।