मजदूरों के लिए बसों पर यूपी सरकार की ‘राजनीति’

यूपी सरकार ने प्रियंका गांधी से लखनऊ की जगह नोएडा-गाजियाबाद बसें भेजने के लिए कहा

Publish: May 20, 2020, 02:45 AM IST

प्रवासी मजदूरों के लिए उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और नोएडा से एक हजार बसें चलाने के कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के प्रस्ताव पर अब राजनीति तेज होती जा रही है. दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने पत्र लिखकर प्रियंका गांधी से कहा है कि बसें लखनऊ की जगह नोएडा और गाजियाबाद की डिपो में जमा करा दें.

उधर कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव रोहित चौधरी का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें वे कह रहे हैं कि वे 500 बसों के साथ आगरा बॉर्डर पर खड़े हैं लेकिन शहर का प्रशासन उन्हें बस आगे नहीं ले जाने दे रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव बसों को नोएडा और गाजियाबाद डिपो में जमा कराने के लिए कह रहे हैं और दूसरी तरफ आगरा का प्रशासन बसों को जाने नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि सड़कों पर पैदल चल रहे गरीबों के लिए बसें यहां खड़ी हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के अंदर उनका प्रयोग करने की इक्षाशक्ति नहीं है.

 

वहीं बसों को नोएडा और गाजियाबाद डिपो में जमा कराने को लेकर प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दिया कि बसें राजस्थान और दिल्ली से आ रही हैं. इनके लिए दोबारा परमिट दिलाने का काम जारी है. इसमें कुछ घंटे लगेंगे. इसलिए शाम पांच बजे तक बसें पहुंचा दी जाएंगी.

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रियंका गांधी को पत्र लिखा, “कृपया गाजियाबाद में कौशांबी और साहिबाबद बस अड्डे में 500 बसें जमा करा दें. इसके अतिरिक्त 500 बसें नोएडा में जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर को एक्सपो मार्ट के निकट उपलब्ध करा दें. संबंधित जिलाधिकारी बसों का परमिट, फिटनेस, इन्श्योरेंस आदि के अभिलेख व चालक के लाइसेंस और परिचालक के अभिलेख चेक कर बसों का उपयोग तत्काल करेंगे.”

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इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बसें चलाने के प्रियंका गांधी के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा कि वे सभी बसों के हैंडओवर समेत गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट और बस ड्राइवरों का लाइसेंस 19 मई की सुबह10 बजे तक लखनऊ में जमा करा दें.

प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया औ सवाल किया कि राज्य की सीमा से बसों को खाली कर लखनऊ में औपचारिक रूप से हैंडओवर करने का औचित्य क्या है.  

उन्होंने अपने पत्र में लिखा, "ऐसी स्थिति में जब हजारों मजदूर सड़कों पर पैदल चल रहे हैं और हजारों लोग उत्तर प्रदेश सीमा पर विभिन्न पंजीकरण केन्द्रों पर इकट्ठे हो गए हैं, 1000 बसों को खाली लखनऊ भेजना समय और संसाधान की बर्बादी, अमानवीय और गरीब विरोधी मानसिकता है."