जी भाईसाहब जी: आसमानी पर भारी शिवराज का सुल्तानी संकट
बीजेपी सरकार दंभ भरती थी कि 2003 के बाद प्रदेश बीमारू राज्य से बाहर निकल आया है। दावे किए जाते थे कि प्रदेश में बिजली सरप्लस है। हकीकत यह है कि इधर संकट आया और उधर दावे की पोल खुल गई। इस दौरान मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मजबूरी भी चर्चा में रही जिसके चलते वे अपने विरोधी प्रभात झा के घर गए।

मध्यप्रदेश में मानसून की बेरुखी ने किसान सबसे ज्यादा तनाव से घिर गया है। राज्य के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में सोयाबीन की फसल सूख रही है। यदि अब भी बारिश नहीं होती है तो गेहूं की फसल के लिए भी पानी नहीं मिलेगा। किसानों की परेशानी यह आसमानी (प्राकृतिक) संकट भर नहीं है।
मौसम विभाग ने बारिश होने का अनुमान जताया है। इस तरह किसानों को आसमानी संकट से राहत की उम्मीद है लेकिन शिवराज के सुल्तानी संकट ने किसानों की मुसीबतों को भारी कर दिया है। इसका कारण है बिजली का कु-प्रबंधन। कुछ किसानों के पास फसलों की सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था है लेकिन गांवों में हो रही बिजली कटौती के चलते सिंचाई भी संभव नहीं हो पा रही है।
मतलब, बारिश न होने से परेशान किसानों को सिंचाई के लिए बिजली चाहिए लेकिन सरकार ने मुसीबत में साथ देने की जगह बिजली कटौती शुरू कर दी। दुबले और दो आषाढ़ की इस स्थिति में किसान खून के आंसू रो रहे हैं। किसान भगवान को मनाने के जतन कर रहे हैं। बिजली का प्रबंध करने की जगह सरकार भी भगवान की शरण में पहुंच गई है।
सरकार के लिए विपक्ष का आरोप सही साबित हो रहा है कि प्रदेश में कम वर्षा होगी इसकी जानकारी बहुत पहले से मिलनी शुरू हो गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आग लगने पर कुआं खोदने का अभिनय कर रहे हैं। बिजली संकट अल्प वर्षा के कारण नहीं बल्कि सरकार की लापरवाही, अक्षमता और अदूरदर्शिता के कारण आया है।
हनुमान का मान नहीं, लोक का ढिंढोरा
चुनावी मौसम है और सरकार आस्था के सहारे वोट बैंक को पुख्ता करने के जतन कर रही है। लोकलुभावने वादों के क्रम में ऐसी योजनाओं में खर्च किया जा रहा है जिसका समाज कल्याण में कोई परिणाम प्राप्त नहीं होना है। धार्मिक आस्था को देखते हुए ही शिवराज सरकार ने महाकाल लोक की तर्ज पर मालवा, निमाड़ ,ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में अलग-अलग प्रमुख मंदिरों में लोक बनाने का फैसला किया है। सरकार इन सात लोक पर करीब 3500 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इन सात में से एक हनुमान लोक छिंदवाड़ा के जाम सांवली में बन रहा है।
इस हनुमान लोक के सहारे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को उनके ही क्षेत्र में घेरने का प्रयत्न कर रही बीजेपी अपने ही दांव में उलझती दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि कमलनाथ ने अपने क्षेत्र में भव्य हनुमान मूर्ति स्थापित करवाई है। वे हनुमान को अपना आराध्य कहते हैं। उनके क्षेत्र में हनुमान लोक बना कर बीजेपी ने कमलनाथ की साफ्ट हिंदुत्व की रणनीति को कमजोर करने का प्रयास किया है।
लेकिन कमलनाथ के पलटवार ने बीजेपी को चुप कर दिया है। मंगलवार को ट्वीट करते कमलनाथ ने गृहमंत्री अमित शाह से कहा है कि वे मध्य प्रदेश में चुनावी यात्रा के लिए आ रहे हैं। मंगलवार भगवान बजरंगबली हनुमान जी का साधना दिवस है। मैं आपसे जानना चाहता हूं कि गुजरात के बोटाद जिले में भगवान बजरंगबली की प्रतिमा को खंडित किया गया है। भगवान के विग्रह पर कालिख पोती गई है। यह वही हनुमान मंदिर है जिसका अप्रैल में आपने उद्घाटन किया था। घटना को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आपने अपने मुंह से एक शब्द नहीं बोला। एक हनुमान भक्त होने के नाते मैं आपसे सवाल पूछता हूं कि किस स्वार्थ के चलते बीजेपी आस्था के इतने बड़े अपमान पर चुप्पी साधे बैठी है? इस धर्म विमुख आचरण के कारण मध्य प्रदेश की जनता जन-आशीर्वाद नहीं, जन-धिक्कार का मन बना रही है।
देवी-देवताओं के गलत चित्रण पर हंगामा करने वाली बीजेपी व उसके सहयोगी संगठन इस मामले पर एकदम मौन हैं जबकि हनुमान लोक के निर्माण का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि जब भगवान हुनमान के मान पर चुप्पी रखनी है तो लोक का ढिंढोरा बजाना शुद्ध राजनीतिक अवसरवाद नहीं है तो क्या है?
ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रभात झा का राग-द्वेष
राजनीतिक और सामाजिक मंचों, एकल संवादों में द्वेष भरे अपमान के सैकड़ों मामले झेल चुकी ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनावी वक्त में अपने धुर विरोधी बीजेपी नेता प्रभात झा से राग अनुराग जताने के लिए उनके घर पहुंचे।
कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति को देखते हुए ‘क्या से क्या हो गए देखते ही देखते’ गाना गाने वाले लोग तब चौंक गए जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा से मिलने उनके घर पहुंच गए। दोनों के बीच एकांत में 45 मिनट चर्चा हुई है। सिंधिया ने तीन साल पहले तक सबसे बड़े विरोधी रहे झा परिवार के साथ खाना भी खाया। इतना ही नहीं प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा के साथ एक सोफे पर बैठ कर फोटो भी खींचवाया।
‘महाराज’ कहलाने वाले सिंधिया का यह रूप चौंकाने वाला है। माना जा रहा है कि बीजेपी में स्वयं तथा समर्थकों की सीट बचाए रखने सिंधिया उन सभी से मेल मिलाप कर रहे हैं जिनसे कल तक द्वेष का नाता था। कयास लगाए जा रहे है कि यह मुलाकात टिकटों के वितरण में एक-दूसरे का सहयोग पाने की कवायद थी। प्रभात झा ग्वालियर दक्षिण से अपने बेटे तुष्मुल को टिकट दिलवाना चाह रहे हैं। इस सीट से फिलहाल सिंधिया के समर्थक नारायण सिंह कुशवाह विधायक हैं। इस मुलाकात का उद्देश्य अपने राजनीतिक समीकरण साधना भी है।
लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा तो मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति का हो रहा है जिसके कारण वे धुर विरोधी प्रभात झा के घर जाने को मजबूर हुए। अपने नेता ही यह हालत देख समर्थक विधायक सीट बचाने के लिए बीजेपी नेताओं के दर पर मत्था टेक रहे हैं।
क्लेश में पार्टी, संदेश में शुभकामनाएं
बीजेपी में कोहराम मचा हुआ है। सिंधिया समर्थकों को तवज्जो देने से कई बीजेपी नेता स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि बरसों के परिश्रम के बाद भी पार्टी ने उनका सम्मान नहीं किया। इस पीड़ा में वे बीजेपी छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
दूसरी तरफ, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा जैसे नेता भी हैं जो संगठन के बर्ताव से दु:खी हैं और खुल कर कह रहे हैं कि मिशन 2023 के लिए हर संभव जतन कर रही बीजेपी को अपने नेताओं की फिक्र नहीं है। शो ऑफ के चक्कर में उमा भारती जैसी नेता भी भुला दी गई है। उमा भारती ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि सिंधिया ने सरकार बनवाई थी तो 2003 में सरकार उमा भारती के कारण बनी है। लेकिन उन्हें जन आशीर्वाद यात्रा में बुलावा ही नहीं आया।
वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने भी जन आशीर्वाद यात्रा में नहीं बुलाए जाने की पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके जैसे वरिष्ठ कार्यकर्ता मरे नहीं है। ये मर भी जाएंगे तो बीजेपी को शुभकामनाएं ही देंगे। लेकिन इन सभी का मन इस बात से दु:खता है कि वर्तमान सत्ता और संगठन को कार्यकर्ताओं के मन की पीड़ा का कोई भान नहीं है।
प्रीत की नीति पर चलेगी कांग्रेस
एक तरफ बीजेपी जन आशीर्वाद यात्रा सहित भव्य आयोजन कर रही है जबकि कांग्रेस ने भव्यता की जगह आत्मीयता की राह चुनी है। कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा की वर्षगांठ पर गांवों में आदिवासी और दलित बस्तियों में प्रीतिभोज करेगी।
पार्टी के प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने ब्लॉक अध्यक्षों को चुनाव के लिए जुट जाने का संदेश देते हुए जीत के कुछ मंत्र दिए। एक मंत्र सादगी से जनता के बीच संपर्क बढ़ाने का है। जमीनी नेताओं को कहा गया है कि वे भारत जोड़ो यात्रा की वर्षगांठ पर 7 सितंबर को आदिवासियों व दलितों की बस्तियों में सादा भोजन करेंगे। दाल रोटी, चाय, ठंडे, नाश्ते से भी काम चल जाएगा। इस तरह संदेश जाएगा कि बीजेपी के पास पैसा है लेकिन कांग्रेस के पास प्रेम है। मूल मुद्दा जनता से संपर्क करना है।