जी भाईसाहब जी: इतना दिखो कि कांग्रेस दिखाई न दे 

MP Politics: बीजेपी के मिशन 2023 की कमान थाम चुके गृहमंत्री अमित शाह बार-बार मध्‍य प्रदेश आ कर तमाम मुद्दों को साध रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने जीत का मंत्र देते हुए पार्टी को लार्जर देन लाइफ की छवि गढ़ने के निर्देश दिए हैं। दिखने-दिखाने की राजनीति में उमा भारती जैसे नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।

Updated: Aug 01, 2023, 02:06 PM IST

गृहमंत्री अमित शाह
गृहमंत्री अमित शाह

नाराज कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने संभागों में होंगे सम्‍मेलन  

कांग्रेस की सत्‍ता में वापसी की खबरों और मैदान से मिले फीडबैक को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने न केवल अपनी टीम मध्‍य प्रदेश में सक्रिय की है बल्कि वे खुद मध्‍य प्रदेश में बीजेपी के मिशन 2023 की कमान थाम चुके हैं। लगातार मध्‍य प्रदेश की यात्रा पर आ रहे अमित शाह ने नाराज नेताओं को मनाने के लिए वरिष्‍ठ नेताओं को जिम्‍मा दिया है। इसके साथ ही मैदान में कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए संभाग स्‍तरीय कार्यकर्ता सम्‍मेलन की रूपरेखा को तय की जा चुकी है। पहला कार्यकर्ताा सम्‍मेलन इंदौर में हो चुका है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहली भोपाल यात्रा के दौरान बीजेपी की कोर कमेटी की बैठक में विजय संकल्‍प यात्रा कार्यक्रम को भी मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत यात्राएं उज्जैन, जबलपुर, सागर, ग्वालियर और चित्रकूट शहरों से निकाली जाएंगी। उज्जैन से शुरू होने वाली विजय संकल्प यात्रा मालवा,  जबलपुर वाली यात्रा महाकौशल, सागर की यात्रा बुंदेलखंड, ग्वालियर की यात्रा चंबल और चित्रकूट की यात्रा विंध्य क्षेत्र में बीजेपी के प्रचार का काम करेगी।

इन अभियानों को स्‍वीकृति देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने जीत का सूत्र देते हुए कहा था कि बीजेपी को चुनाव तक इतना दिखना चाहिए कि कांग्रेस के लिए जगह ही नहीं बचे। इसका अर्थ था कि गांव-गांव तक बीजेपी के भव्‍य कार्यक्रम की गूंज पहुंचनी चाहिए। इन निर्देशों के बाद बीजेपी ने यात्राएं, सभाएं, सम्‍मेलन की तैयारी के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रचार के लिए पूरे तंत्र को सक्रिय कर दिया है। यह दिखना, दिखाना इस भव्‍यता और बड़े पैमाने पर हो रहा है कि बीजेपी दफ्तर या आयोजन स्‍थल पर ही नहीं, उन स्‍थानों तक जाने वाली सडकों को बड़े-बड़े होर्डिंग्‍स और कटआउट से पाट दिया जाता है। 

वीवीआईपी के आने के कारण सड़कों पर आवाजाही बंद हो जाती है। इस कारण दूसरी सड़कों पर जाम लगने की स्थिति बन जाती है। लोग घरों में या गाडि़यों में कैद हो जाने को मजबूर हो जाता है। दूसरी तरफ, सोशल मीडिया और मीडिया के तमाम प्‍लेटफार्म्‍स पर आयोजन तथा योजनाओं व लोकलुभावनी घोषणाओं की खबरें और क्लिपिंग्‍स इतनी ज्‍यादा प्रसारित की जा रही है कि लोगों को बीजेपी के अलावा और कुछ दिखाई नहीं दे। प्रचार का यह अतिरेक कितना असर डालेगा इस पर सभी की निगाहें हैं। 

राजनीतिक जमीन नहीं तो जगह नहीं 

ठीक 20 साल पहले का यही वक्‍त था जब फायर ब्रांड कही जाने वाली उमा भारती प्रदेश में घूम-घूम कर बीजेपी को सत्‍ता में लाने के जतन कर रही थीं। तब से चार बार हुए विधानसभा चुनावों में उमा भारती की किसी न किसी रूप में कम या ज्‍यादा भूमिका जरूर रही है लेकिन 2023 के चुनाव में बीजेपी की बिसात से उमा भारती गायब है। इसकी वजह उमा भारती का संन्‍यास या राजनीति छोड़ना नहीं है बल्कि अब बीजेपी को उमा भारती अनुपयोगी लगती हैं तभी तो चुनाव से जुड़ी किसी भी समिति में उन्‍हें शामिल नहीं किया गया है। 

पिछले दो साल की गतिविधियों को देखें तो पाएंगे कि अपनी राजनीतिक उपयोगिता बनाए रखने के लिए उमा भारती ने हर संभव तरीके आजमाए हैं। कभी वे रूठी, कभी आक्रोश में बयान दिए, कभी शराबबंदी के लिए सरकार को अल्‍टीमेटम दिया, कभी शराब दुकान पर प्रतीकात्‍मक रूप से पत्‍थर फेंके, कभी लोधी समाज की बैठक में अपनी असहायता व्‍यक्‍त की। कुछ सप्‍ताह पहले उमा भारती ने जीवन से संन्‍यास की बात कही लेकिन राजनीति में बने रहने की इच्‍छा जताई थी। वे यह भी कह चुकी हैं कि चुनाव तो लडूंगी, स्‍थान पार्टी तय करेगी। बीजेपी संगठन ने उन्‍हें मनाने की कभी परवाह नहीं की, अलबत्‍ता मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आबकारी नीति में परिवर्तन कर उमा को खुश करने की कोशिश की।

लेकिन जहां संगठन की बात आती है तो अस्तित्‍व को लेकर संघर्ष कर रही उमा भारती को बार बार हाशिए पर धकेल दिया जाता है। इसबार तो उन्हें इतना नजरअंदाज किया गया है कि राजनीति में खोई जगह पाने के लिए उन्‍हें पहले से ज्‍यादा संघर्ष करना पड़ेगा। 

खास बात यह भी है कि राजनीतिक जमीन को देखते हुए बीजेपी ने पार्टी से निष्‍कासित कर दिए गए नेता पूर्व मंत्री जयंत मलैया को भरपूर तवज्‍जो दी और उन्‍हें घोषणा पत्र समिति का अध्‍यक्ष बना दिया। उन्‍हें सारे नेताओं से ज्‍यादा महत्‍व दिया गया है। इतना कि पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष प्रभात झा को भी उनकी अध्‍यक्षता में काम करना पड़ेगा। महाकौशल को साधन के लिए वहां के विद्रोही तेवर के नेता विधायक अजय विश्‍नोई को भी समिति में शामिल‍ किया गया है। बाकी वे सारे नेता बाहर हैं जो पार्टी की नजर में राजनीतिक रूप से महत्‍वहीन हो चुके हैं।  

गए तो अकेले, लौटे तो तबादलों से बदल दी तस्‍वीर  

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जनआशीर्वाद यात्रा निकालने का मौका नहीं मिला तो वे विकास यात्रा के जरिए पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं। विकास पर्व के दौरान आयोजित की जा रही विकास यात्रा के तहत प्रदेश के विभिन्‍न अंचलों में पहुंच रहे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सुबह से रात तक प्रशासनिक गति‍विधियों और राजनीतिक बैठकों व रैलियों में जुटे रहते हैं। 

ऐसे समय में जब मिशन 2023 की कमान स्‍वयं अमित शाह ने थाम ली हो तब अचानक मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिल्‍ली बुलाया गया तो विश्‍लेषकों के कान खड़े हो गए। बात 27 जुलाई की है। कटनी में विकास यात्रा कर रहे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास दिल्‍ली से संदेश आया। मुख्‍यमंत्री ने सुबह आने की बात कही तो जवाब मिला तुरंत पहुंचिए। इस निर्देश के बाद मुख्‍यमंत्री चौहान का भोपाल वापसी का कार्यक्रम रद्द हुआ और चौहान कटनी से ही दिल्‍ली पहुंचे। दिल्‍ली में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले से मुलाकात की। होसबोले 26 जुलाई से ही दिल्ली प्रवास पर हैं। मुलाकात करीब एक घंटे चली। अंदरखाने की खबर है कि संघ ने अपने स्‍तर का फीडबैक देते हुए शासन स्‍तर पर कुछ कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे।

दिल्‍ली यात्रा की गोपनीयता को ध्‍यान में रखते हुए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अफसरों को अपने साथ नहीं ले गए थे। दिल्‍ली से लौटने के बाद मुख्‍यमंत्री ने आईएएस-आईपीएस अफसरों के तबादलों को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। आकलन है कि संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संघ कार्यकर्ताओं का फीडबैक प्रदान किया। साथी मैदान से मिल रही अफसरों के हावी होने वाली शिकायतों से भी अवगत करवाया होगा तभी सीएम ने कई महीनों से रूकी आईपीएस तबादलों की सूची तो तुरंत जारी करवा दिया। 

रणदीप सिंह सुरजेवाला लेकर आएंगे नई उर्जा और ताकत 

बीजेपी का मिशन 2023 संचालित कर रहे गृहमंत्री अमित शाह जब कह रहे हैं कि बीजेपी को हर जग‍ह दिखना चाहिए और कांग्रेस को दिखने नहीं देना चाहिए तो इस आक्रामक रणनीति का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने भी तेजतर्रार नेता राज्‍यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्‍य प्रदेश का पर्यवेक्षक बनाया है। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की रणनी‍ति को धार देने वाले रणदीप सिंह सुरजेवाला को मध्‍य प्रदेश भेजना का उद्देश्‍य भी कर्नाटक की सफलता को दोहराना है। 

कांग्रेस की चुनाव प्रबंधन सहित अन्‍य समितियों की घोषणा के साथ ही सुरजेवाला की आमद कार्यकर्ताओं में जोश और उमंग का संचार करने की कवायद है। उनके आने से कांग्रेस प्रत्‍याशियों की सूची तो जल्‍द अंतिम रूप तो मिलेगा ही विभिन्‍न क्षेत्रों के नेताओं की सुनवाई का एक केंद्र और खुल जाएगा। सूरजेवाला जैसे नेताओं की आमद से मिशन 2023 का संघर्ष और दिलचस्‍प होना तय है।