जी भाईसाहब जी: लाडली पर ध्यान, लाडलों को नुकसान, गा कर भी नहीं खींच पा रहे हैं ध्यान
MP Politics: बहनों के लिए खजाना खोल चुके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक अपनी पीड़ा पहुंचाने के लिए पुरुषों ने गा कर, चिल्ला कर, प्रदर्शन कर, हर तरह की कोशिशें की मगर ये आवाजें नक्कार खाने में तूती की आवाज बन कर रह गई है। दूसरी तरफ, पीएम मोदी भोपाल आए जरूर लेकिन उनकी इस यात्रा से बीजेपी में एक खास तरह की उदासी है।

‘मैं हूं ना’ के अंदाज में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं के बीच घोषणा करते हैं तो कुछ चेहरे खिल जाते हैं और कुछ चेहरे बुझ जाते हैं। ये बुझे चेहरे स्वयं को जीजा और भांजा बता कर सीएम चौहान का ध्यान अपनी समस्याओं की ओर आकृष्ट करने के कई प्रयास कर रहे हैं मगर कामयाब नहीं हो पा रहे हैं।
अब तो मध्य प्रदेश के ग्राम रोजगार सहायक (जीआरएस) की पीड़ा संगीत के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक पहुंचाने की कोशिश की गई है। ग्राम रोजगार सहायकों की मांगों तथा पीड़ा को उजागर करते हुए एक गीत बना कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘ना होगा गुजारा मामा इस वेतनमान में, जीआरएस को लीजिए थोड़ा सा अपने ध्यान में।’ इस गीत को बृजेश सिंह अग्रहरि ने गाया है। जीआरएस यूनियन ने गीत को ट्वीट किया है। इसके बाद कई ग्राम रोजगार सहायकों ने कमेंट कर अपनी पीड़ा बताई कि वे 2017 से मात्र 9000 के वेतन पर कार्य कर रहे हैं। पंचायत विभाग के साथ अन्य विभागों की योजनाओं के क्रियान्वयन भी उनके जिम्मे हैं। काम ज्यादा और वेतन कम, कैसे काम चलेगा?
ग्राम रोजगार सहायक मध्यप्रदेश की मार्मिक गीत!@ChouhanShivraj @SadhnaShivraj@OfficeOfKNath @Shailendra0555#मामा_मामी_दर्शन_संकल्प_यात्रा pic.twitter.com/m0AOOC1Zxn
— SahayakSachivMP (@SahayakSachivMP) March 30, 2023
इतना ही नहीं एक वायरल वीडियो में एक युवक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से यह कहते दिखाई दे रहा है कि मामाजी, लाड़लों पर भी ध्यान दे दीजिए। जिस पर सीएम चौहान ने मुस्कुराते हुए कहा कि लाडलियों काम कर लूं। तुम्हारा भी करूंगा। इसके पहले एक मैसेज वायरल हुआ था जिसमें कटाक्ष रूप में कहा गया था कि मुख्यमंत्री जी लाडली बहनों की देखभाल हो गई हो तो जीजा (किसानों) की भी सुध ले लें।
यानी, गा कर, चिल्ला कर, प्रदर्शन कर, हर तरह से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिशें हुई मगर ये आवाजें नक्कार खाने में तूती की आवाज बन कर रह गई। सरकार का ध्यान फिलहाल वोट समीकरण साधने में है।
बीजेपी में मैं ही मैं हूं...
मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक शुरू होने के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों से लाडली बहना योजना की सफलता पर बात की। इस योजना में 4 अप्रैल तक 50 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। यह पहला अभियान है जिसमें सर्वर डाउन नहीं हुआ। लोग सड़कों पर बैठ कर आवेदन भर रहे हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने मंत्रियों से यह भी कहा कि योजना के प्रति उत्साह तो आप भी महसूस कर रहे होंगे।
कैबिनेट में मुख्यमंत्री चौहान ने यह बात कही जरूर मगर मैदान में वे अकेले ही दिखाई दे रहे हैं। वे ही महिलाओं के बीच जा कर सम्मेलन कर रहे हैं!योजना के निर्माण, उसके क्रियान्वयन, प्रचार-प्रचार लेकर फार्म भरवाने तक का सारा मुख्यमंत्री खुद ही देख रहे हैं।
इस योजना को लेकर बीजेपी में फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैं ही मैं हूं की तर्ज पर काम करना पड़ रहा है। सोमवार को बैतूल में थे। मंगलवार को खंडवा में। दावा किया गया कि इन सम्मेलनों में एक-एक लाख महिलाएं पहुंची। योजना के शुभारंभ अवसर पर ही भोपाल में भीम नगर बस्ती में पंजीयन स्थल पर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद फार्म भी भरे। यानी मैदान में दूसरे साथी सीएम की मंशानुरूप काम करते दिखाई नहीं दे रहे हैं।
घबराए बीजेपी विधायक कभी कसमें दिलाएं, कभी रिझाएं
मिशन 2023 फतह करने के लिए बीजेपी संगठन हर तरह के उपाय कर रहा है। सरकारी योजनाओं के निर्माण से लेकर जातीय समीकरण साधने तक कोई काम छोड़ा नहीं जा रहा है। ऐसी क्रम में जब तब गुजरात मॉडल की चर्चा चल पड़ती है। इस मॉडल का हवाला देकर कहा जाता है कि जो पिछली बार नहीं हुआ वह अब होगा। यानी 2018 में तो टिकट नहीं कटे अब 2023 में गुजराज की तर्ज पर मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाएंगे।
यह खबर तो हवा में उड़ा भी दी गई है मगर विकास यात्रा के दौरान मैदान में जो फजीहत हुई है उसके बाद तो अच्छे-अच्छे विधायकों के होश उड़ गए हैं। एक तो पहले ही गुटबाजी की घमासान टिकट पाने में बाधा और इधर, कांग्रेस ने अलग मैदानी सक्रियता बढ़ा दी है। विधायकों को लग रहा है कि ऐसा न हो कि उनके क्षेत्र में किसी और का जोर चल जाए और टिकट कट जाए। या टिकट मिल जाए तो समर्थक ही बागी हो कर अपने घर बैठ जाए या मैदान में निर्दलीय ताल ठोंक दे। आशंका हजार हैं।
इन्हीं आशंकाओं से घिरे विधायक जी समर्थकों को अपने पाले में रखने के लिए हर तरह का जतन कर रहे हैं। जाहिर है, समर्थकों की ताकत रहेगी तो दूसरे गुट के नेता टिकट कटवाने में सफल नहीं होंगे। इन्हीं कोशिशों के क्रम में जतारा के बीजेपी विधायक व पूर्व मंत्री हरिशंकर खटीक रामनवमी पर पार्टी कार्यकर्ताओं को लेकर अयोध्या गए थे। वहां का एक का एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वे अयोध्या की सरयू नदी में खड़े होकर पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव में धोखा नहीं देने की शपथ दिला रहे हैं। एक वीडियो और वायरल हुआ है जिसमें सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा नवरात्रि कार्यक्रम में साड़ी पहन कर नृत्य करते दिखाई दे रहे हैं।
विधायकों की ये कोशिशों अपने समर्थकों को खुश रखने के लिए है ताकि उनके दम पर टिकट की दावेदारी भी मजबूत हो तथा टिकट मिल जाए तो विश्वासघात न सहना पड़े।
बीजेपी की तारीफ में कमी क्यों कर गए सरकार?
डबल इंजन की सरकार के नारे के सहारे मिशन 2023 जीतने का सपना देख रही बीजेपी ने मैदानी हकीकत तो जांच-परखकर अपनी रणनीति को बदल दिया है। विपक्ष राज्य में बीजेपी सरकार के 20 सालों के काम पर सवाल खड़े कर रहा था और मैदान में सत्ता विरोधी लहर को भांप कर चेहरे के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे किया है। इसका मतलब यह है कि बीजेपी इस बार मोदी के नाम पर ही वोट मांगने वाली है। यही कारण है कि पीएम मोदी लगातार मध्यप्रदेश आ रहे हैं।
इसबार 1 अप्रैल को भोपाल आए प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। यहां संबोधन में उन्होंने कांग्रेस को खूब कोसा, केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर बात की मगर जब मध्यप्रदेश की उपलब्धियों को बताने की बारी आई तो सबसे कम इस पर बात की। मध्य प्रदेश की तरक्की का उल्लेख जरूर किया मगर यह बताया कि केंद्र सरकार ने रेलवे के बजट में वृद्धि की है। तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो पीए मोदी का यह भाषण उन भाषणों में शुमार होगा जिनमें उन्होंने राज्य की अपनी पार्टी की सरकार की सबसे कम तारीफ की है।
यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है और यही आकलन किया गया है जब चुनाव का चेहरा प्रधानमंत्री मोदी होंगे तो वे अपनी तरह से चीजें प्रस्तुत करेंगे। राज्य सरकार का गुणगान हो या नहीं, इस बात से उन्हें अधिक फर्क नहीं पड़ता। हालांकि, बीजेपी नेता इस उम्मीद में है कि 24 अप्रैल को फिर मध्यप्रदेश आ रहे पीएम मोदी इस बार खूब यशगान करके जाएंगे। तब तक इंतजार ही भला।
कांग्रेस का एक रंग यह भी है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भोपाल यात्रा के समय ही रात में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में भगवा झंडे देख कर हर कोई चौंक गया। लोगों ने अचरज से पूछा कि यह हो क्या रहा है? कुछ लोगों ने तो चटखारे लिए तो कुछ को आशंका हुई कि कहीं ये झंडे किसी ओर ने तो नहीं लगवा दिए।
मगर परिसर में लगे होर्डिंग से साफ हो गया कि कांग्रेस नेताओं ने धर्म संवाद के आयोजन के सिलसिले में पूरे प्रदेश कार्यालय को भगवा झंडों और बैनर से पाट दिया था। असल में यह हिंदुत्व की राजनीति कर रही बीजेपी को उसी की शैली में जवाब देने की कोशिशों का एक हिस्सा है। पिछले कई माह से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ स्वयं को हनुमान भक्त बताते हुए धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा ले रहे हैं। धर्म की राजनीति में मंदिरों के पुजारी स्वयं को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने उनकी पीड़ा को दूर करने का वादा किया है। इस तरह कांग्रेस ने भगवा रंग ओढ़ कर बीजेपी के मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश की है।
और जिन युवाओं ने इस बदलाव पर हैरत जताई उन्हें बड़े बुजुर्गों ने बताया कि यह भी कांग्रेस का एक रंग है। अब तक पूजा-पाठ को व्यक्तिगत मानने वाले कांग्रेसी नए राजनीतिक मुहावरे के सहारे बीजेपी का मुकाबला करना चाहते हैं। इसलिए, आस्था और धर्म का सार्वजनिक प्रदर्शन करने लगे हैं।