MP की बैगा चित्रकार जोधइया बाई को पद्मश्री, विलुप्त होती बैगा चित्रकला को दिलाई नई पहचान

भारत सरकार ने 74 वें गणतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर बुधवार को इसकी सूची जारी की है। इसमें जोधइया बाई बैगा देश के उन 91 लोगों में शुमार हुई हैं, जिन्हें पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

Updated: Jan 26, 2023, 07:27 AM IST

मध्य प्रदेश के उमरिया जिले की निवासी जोधइया बाई बैगा को प्रसिद्ध पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाएगा। भारत सरकार ने 74 वें गणतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर इसका ऐलान किया। 84 वर्ष उम्र पर कर चुकीं जोधइया बाई बैगा ने विलुप्त होती बैगा चित्रकला को अपने कौशल के माध्यम से वैश्विक पहचान दिलाई है।

पिछले साल 8 मार्च 2022 को महिला दिवस के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जोधाबाई बैगा को 'नारी शक्ति सम्मान' से भी सम्मानित कर चुके हैं। जोधइया बाई विलुप्त होती बैगा चित्रकला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ख्याति प्राप्त हैं। उनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी विदेशों में भी लगती है। 2019 में उनकी पेंटिंग को इटली में शोकेस में रखा गया था।

जोधइया बाई उमरिया के एक छोटे से गांव लोहरा की रहने वाली हैं। वे बैगिन पेंटिंग को पुनर्जीवित कर रही हैं। बैगाओं के घरों की दीवारों को सुशोभित करने वाले बड़ेदेव और बाघासुर की छवियां कम होते देखकर जोधइया बाई ने आधुनिक रंगों से कैनवास और ड्राइंग शीट पर उसी कला को उकेरना शुरू किया। इसके बाद तो बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवंत हो उठी है। उनके चित्रों में पुरानी भारतीय परंपरा के अनुसार देवलोक भगवान शिव और बाघ की अवधारणा देखी जा सकती है।

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जोधइया बाई बैगा के चित्र पेरिस और मिलान देशों में भी प्रदर्शित हो चुके हैं। इटली, फ्रांस में आयोजित आर्ट गैलरी में उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को दिखाया गया है। जापान, इंग्लैंड, अमेरिका सहित कई अन्य देशों में भी उनकी पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं।

जोधइया बाई भले आज दुनिया भर में नाम कमा रही हों, उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है, लेकिन इससे पहले उनका जीवन बहुत दुखों से भरा रहा है। जब वे 30 वर्ष की थी, तभी उनके पति का देहावसान हो गया था। इसके बाद से पेंटिंग के जरिए उन्होंने अपनी पहचान बनाई। जोधइया बाई के नाम पर जनजातीय संग्रहालय भोपाल में एक स्थायी दीवार बनाई गई है, जिस पर उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग लगाई गई हैं।