Father’s Day 2020 : मौत के पहले बेटी को जीवन दे गया पिता

chhattisgarh : कोरबा में करंट की चपेट में आने पर एक पिता ने दम तोड़ने के पहले अपनी 5 साल की बेटी को गोद से उछालकर फेंका और उसकी जान बचाई  

Publish: Jun 22, 2020, 05:07 AM IST

आज जब पूरी दुनिया फादर्स डे पर अपने पिता को याद कर रही है तब कोरबा में एक मजदूर पिता मरने के पहले अपनी बेटी का जीवन बचा गया। मामला छत्तीसगढ़ के कोरबा का है जहां प्रवासी मजदूर दिलहरण धनवार उत्तर प्रदेश से कोरबा आया था। वह सूूअरों के लिए बिछाए गए तारों की चपेट में आ गया। इससे पहले की करंट उसे बेदम करता उसने अपनी बेटी को बचाने के लिए उसे दूर फेंक दिया। बेटी तो बच गई मगर उसके पिता की मौत हो गई।

 मृतक प्रवासी मजदूर की पत्नी सुमित्रा धनवार का कहना है कि वे लोग इलाहाबाद के गुंडा में ईट भट्ठे में काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ठेकेदार ने बस बुक करके ईंट भट्टे के मजदूरों को बिलासपुर तक भेजा। वहां से ऑटोरिक्शा से शनिवार को कनकी पहुंचे। जहां बैरियर पर तैनात पुलिस ने ऑटो रोका और एक दूसरे वाहन चालक को तरदा क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजने की जिम्मेदारी सौंप कर पल्ला झाड़ लिया। जब मजदूर परिवार तरदा पहुंचा, तो पता चला कि अभी वहां स्कूल भवन में क्वारेंटाइन सेंटर शुरू नहीं हुआ है। वहीं उनके गांव के सरपंच ने भी कह दिया था कि उन्हें पहले कुछ दिन क्वारंटाइन सेंटर में ही रहना है। उसके बाद ही घर आना है। ऐसे में मजदूर देर रात को चुपचाप जंगल के रास्ते से घर जाने की कोशिश कर रहा थे। और यह हादसा हो गया।

पुलिस और प्रशासन की लापरवाही ने जान

दरअसल इलाहाबाद से कोरबा आकर वह परिवार समेत क्वारंटाइन होने के लिए दरदर की ठोकरें खाता रहा। लेकिन सरकारी अफसरों ने उसकी कोई सुध नहीं ली। जिसके बाद वह देर रात छिपकर अपने घर जाने के लिए जंगल के रास्ते परिवार समेत निकल पड़ा। प्रवासी मजदूर के घर से करीब आधा किलोमीटर पहले कुरिहा पार भैसामुड़ा के पास जंगली सूअरों को मारने के लिए करंट वाले तार बिछाए गए थे। इस तार की चपेट में आने से प्रवासी मजदूर दिलहरण की मौके पर ही मौत हो गई। 5 साल की मासूम बच्ची उसकी गोद में थी। करंट लगते ही उसने अपनी 5 साल की बच्ची को दूर फेंक दिया जिससे बच्ची की जान बच गई। मजदूर के साथ उसकी पत्नी सुमित्रा और गांव का एक और परिवार था।

पीएम की गरीब कल्‍याण रोजगार योजना में शामिल नहीं है छत्‍तीसगढ़

कोरबा में फादर्स डे के दिन मासूम बच्‍ची के पिता का साया छिन जाने का दोषी हमारा सिस्‍टम है। लॉकडाउन के बाद से श्रमिक अपने घर लौटना चाहते हैं मगर वे अब तक घर नहीं पहुंच पाए हैं। जो पेट की खातिर छत्‍तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुत राज्‍य में रूके हुए हैं उन्‍हें काम मिलेगा या नहीं इसकी गारंटी नहीं है क्‍योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरीब कल्‍याण रोजगार योजना में छत्‍तीसगढ़ शामिल नहीं है। ऐसे में प्रवासी श्रमिकों को कैसे और कितना रोजगार मिलेगा कहा नहीं जा सकता है।