नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट सख्त, अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने वाले अधिकारियों की मांगी लिस्ट
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब उन अधिकारियों को बड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है जो अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने की अवधि में नर्सिंग काउंसिल में पदस्थ थे।

जबलपुर। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज मान्यता फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट सख्त है। उच्च न्यायालय ने नर्सिंग संस्थानों को मान्यता और संबद्धता देने वाली संस्थाओं से अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने के निर्णयों में शामिल अधिकारियों की सूची मांगी है। इसमें इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी), एमपी नर्सिंग काउंसिल (एमपीएनआरसी) और एमपी मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (एमपीएमएसयू ) शामिल हैं।
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब उन अधिकारियों को बड़ी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है जो अपात्र कॉलेजों को मान्यता देने की अवधि में नर्सिंग काउंसिल के चेयरमैन (संचालक चिकित्सा शिक्षा), रजिस्ट्रार, काउंसिल के सदस्य, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, विश्वविद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य, कुलपति, इंस्पेक्टर आदि के दायित्व में पदस्थ थे।
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लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल ने शासन को अगली सुनवाई में सूची पेश करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने म.प्र. नर्सिंग काउंसिल दफ्तर के 13 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2024 तक की अवधि के काउंसिल कार्यालय के गायब सीसीटीवी फुटेज को रिट्रीव करने और जाँच रिपोर्ट पेश करने के आदेश पुलिस कमिश्नर भोपाल और साइबर सेल को दिए थे। लेकिन साइबर सेल ने पिछली सुनवाई में डेटा रिट्रीव करने में असमर्थता जताते हुए कोर्ट में रिपोर्ट पेश की थी कि ज़ब्त सीसीटीवी फुटेज के रिट्रीव करने के टूल साइबर के पास उपलब्ध नहीं है। इसलिए उक्त कार्य हेतु ज़ब्त सीसीटीवी डीवीआर को सेंट्रल लैब भेजा गया है।