सड़क निर्माण में किया था करोड़ों का घोटाला, कोर्ट ने PWD के दो अफसरों को 3 साल के लिए भेजा जेल
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 15 साल पुराने भ्रष्टाचार मामले में विशेष न्यायालय ने दो PWD अधिकारियों चोवाराम पिस्दा और ज्ञानेश कुमार तारम को दोषी करार देते हुए IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में सजा सुनाई है। इन अधिकारियों ने सड़क निर्माण योजना में फर्जी बिलिंग कर 2.84 करोड़ रुपये का गबन किया था।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भ्रष्टाचार से जुड़े एक पुराने मामले में दंतेवाड़ा की विशेष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। लगभग 15 वर्ष पुराने इस प्रकरण में लोक निर्माण विभाग के दो अधिकारी चोवाराम पिस्दा और ज्ञानेश कुमार तारम को दोषी ठहराया गया है। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विजय कुमार होता, जो विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) भी हैं, ने 16 जुलाई 2025 को यह फैसला सुनाया।
यह मामला वर्ष 2010-11 का है, जब सुकमा में पदस्थ कार्यपालक अभियंता चोवाराम पिस्दा और कोन्टा के उप अभियंता एवं प्रभारी एसडीओ ज्ञानेश कुमार तारम ने चिंतलनार से मरईगुड़ा तक सड़क निर्माण योजना में भारी अनियमितताएं की थीं। सड़क का निर्माण कार्य "नीरज सीमेंट स्ट्रक्चर लिमिटेड, मुंबई" को एलडब्ल्यूई योजना के अंतर्गत सौंपा गया था, लेकिन माप पुस्तिका में जानबूझकर फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये का अतिरिक्त भुगतान ठेकेदार को दिलवाया गया। इस घोटाले में करीब 2 करोड़ 84 लाख रुपये की राशि अनुचित रूप से आहरित की गई। जांच में माप पुस्तिका में कूट रचना और आर्थिक षड्यंत्र के स्पष्ट प्रमाण मिले।
इस मामले की एफआईआर 5 सितंबर 2012 को दर्ज की गई थी और 29 जुलाई 2019 को अंतिम प्रतिवेदन (चार्जशीट) न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 19 गवाहों को पेश किया, जिनके बयानों और प्रस्तुत साक्ष्यों ने दोनों अधिकारियों की संलिप्तता को सिद्ध कर दिया।
कोर्ट ने IPC की विभिन्न धाराओं सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोनों अभियुक्तों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई। इसमें धारा 13(2) के अंतर्गत दो वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 120-B के तहत एक वर्ष, धारा 420 के तहत तीन वर्ष, धारा 467, 468 और 471 के तहत भी तीन-तीन वर्ष की सजा सुनाई गई है।