छतरपुर में खाद लेने गई छात्रा को नायब तहसीलदार ने मारा थप्पड़, वितरण केंद्र पर ग्रामीणों ने किया हंगामा

छतरपुर के परा गांव में खाद वितरण केंद्र पर अव्यवस्था के बीच नायब तहसीलदार ऋतु सिंघई पर छात्रा को थप्पड़ मारने, किसान की कॉलर पकड़ने और महिलाओं से बदसलूकी के आरोप लगे। दो महीने से खाद न मिलने से नाराज़ किसानों ने कालाबाजारी का आरोप लगाया। विवाद बढ़ने पर अधिकारी और पत्रकारों में भी तीखी नोकझोंक हुई।

Updated: Dec 03, 2025, 02:08 PM IST

छतरपुर। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के परा गांव में बुधवार को खाद वितरण केंद्र पर भारी अव्यवस्था के बीच ऐसा तनावपूर्ण माहौल बना गया। नायब तहसीलदार ऋतु सिंघई पर एक छात्रा को थप्पड़ मारने, एक किसान की कॉलर पकड़ने और एक महिला के साथ मारपीट करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। किसानों और महिलाओं की शिकायत है कि उन्हें एक महीने से खाद नहीं मिल रही है और अधिकारी टोकन देने के नाम पर परेशान कर रहे हैं।

पूरा मामला तब शुरू हुआ जब एमए तीसरे सेमेस्टर की छात्रा गुड़िया पटेल खाद लेने पहुंची। गुड़िया का आरोप है कि वह दो महीने से केंद्र के चक्कर लगा रही है लेकिन हर बार टोकन न होने का बहाना बनाकर लौटा दिया जाता है। उसने बताया कि जब उसने नायब तहसीलदार से टोकन मांगा तो उन्हें कहा गया कि टोकन महिलाओं को नहीं बल्कि सिर्फ पुरुषों को ही दिए जाएंगे। गुड़िया के अनुसार, जब उसने दोबारा टोकन मांगा तो तहसीलदार ने उसे थप्पड़ मार दिया।

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गुड़िया ने आगे आरोप लगाया कि गोदाम में लगभग 15 ट्रक खाद मौजूद हैं लेकिन किसानों को न देकर उसे ब्लैक में बेचा जा रहा है। उसका कहना था कि करीब 250 महिलाएं रात 2 बजे से लाइन में खड़ी थीं फिर भी किसी को खाद नहीं दी गई। कई महिलाएं पैसे देने के बावजूद खाद न मिलने से बेहद नाराज थीं।

बढ़ती भीड़ और हंगामे के बीच तहसीलदार ऋतु सिंघई और किसानों में तीखी बहस भी हुई। आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तहसीलदार ने दावा किया कि भीड़ अनियंत्रित हो गई थी और महिलाएं जबरन पुरुषों की लाइन में घुस गईं और बदतमीजी करने लगीं थी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके दुपट्टे और कॉलर तक खींचे और बेहद करीब से वीडियो बनाकर उन्हें उकसाने की कोशिश की। थप्पड़ मारने के सवाल पर तहसीलदार ने कहा कि उन्होंने सिर्फ उन लोगों के मोबाइल छीने जो बहुत पास से वीडियो बना रहे थे पर किसी को मारा नहीं।

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इस पूरी घटना के दौरान पत्रकारों ने भी अव्यवस्था और मारपीट को लेकर उनसे सवाल किए। पत्रकारों के मुताबिक, कुछ लोगों के मोबाइल छीने गए और वीडियो बनाने से रोका गया। लेकिन अधिकारियों ने इन आरोपों से इनकार कर दिया। तहसीलदार ने कहा कि उन्होंने केवल भीड़ को कंट्रोल करने की कोशिश की और किसी पत्रकार को छुआ तक नहीं।

खाद वितरण केंद्र की स्थिति पर पूछे गए सवालों पर एसडीएम अखिल राठौर ने कहा कि एक बार में दो से तीन हजार किसानों को संभालना मुश्किल है और यह पीक सीजन होने के कारण भीड़ असामान्य रूप से बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि यूरिया की कमी के चलते वितरण में देरी हुई और नया स्टॉक हाल ही में आया है। जब पत्रकारों ने ये पूछा कि किसान एक महीने से खाद न मिलने की शिकायत कर रहे हैं तो एसडीएम ने स्वीकारा कि स्टॉक सीमित था इसलिए वितरण प्रभावित हुआ।

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पत्रकारों द्वारा बार-बार सवाल किए जाने पर एसडीएम ने यह भी कहा कि अगर किसी पत्रकार का मोबाइल छीना गया है तो उसे वापस कर दिया जाएगा। उन्होंने भीड़-भाड़ में यह पता न चल पाने की बात कही कि कौन पत्रकार है और कौन किसान। फिलहाल पूरा मामला अब जांच के दायरे में है। लेकिन किसानों और महिलाओं का आक्रोश कम नहीं हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन समय पर व्यवस्था बनाए रखता तो स्थिति नहीं बिगड़ती। वहीं, अधिकारी भीड़ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।