भारत में निवेश पर ट्रंप टैरिफ का असर, विदेशी कंपनियों ने छोड़े 2 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट
एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी कंपनियों ने भारत में करीब 2 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट कैंसिल किए हैं। यह आंकड़ा पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 1,200 फीसदी ज़्यादा है।

भारत में विदेशी निवेशकों का भरोसा इस साल की पहली तिमाही में बड़े पैमाने पर डगमगाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी कंपनियों ने भारत में करीब 2 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट कैंसिल किए हैं। यह आंकड़ा पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 1,200 फीसदी ज़्यादा है।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि साल 2025-26 की पहली तिमाही में विदेशी निजी कंपनियों ने 1.97 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट छोड़ दिए। यह साल 2010 के बाद से अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
CMIE के मुताबिक कई प्रोजेक्ट पूरी तरह छोड़ दिए गए, कुछ अस्थायी तौर पर रोके गए हैं और कई प्रोजेक्ट्स के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि असली वजह टैरिफ को लेकर अनिश्चितता ही है।
अप्रैल-जून 2025 के बीच भारत और अमेरिका के बीच एक मिनी ट्रेड डील की उम्मीद थी। इसमें एक-दूसरे पर लगाए गए शुल्कों को लेकर समाधान होना था। लेकिन जब यह तय समय पर नहीं हो पाया तो विदेशी निवेशकों ने अपने कदम पीछे खींच लिए।
EY इंडिया कंपनी के चीफ़ पॉलिसी एडवाइज़र डी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि यह ज्यादातर टैरिफ़ की अनिश्चितताओं का असर है। खासकर अमेरिकी कंपनियां इससे प्रभावित हुई हैं, क्योंकि अमेरिका चाहता है कि कंपनियां अपना निवेश वापस वहीं ले जाएं। हालांकि, उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि स्थिति साफ होते ही ये निवेश दोबारा लौट सकते हैं।
विश्लेषण में यह भी सामने आया कि निवेशकों के भरोसे पर सीधा असर पड़ा है। पहली तिमाही में छोड़े गए प्रोजेक्ट और नए प्रोजेक्ट की घोषणाओं का अनुपात 8.8 रहा, जो 2010 के बाद सबसे ऊंचा है। इसका मतलब है कि निवेशकों का रुझान काफी निराशावादी हो गया है।
इस दौरान विदेशी कंपनियों ने भारत में नए प्रोजेक्ट की घोषणाएं तो कीं, जिनकी कुल कीमत 22,490 करोड़ रुपये रही। यह पिछले साल की तुलना में 50% ज़्यादा है। लेकिन यह उछाल इसलिए दिख रहा है क्योंकि पिछले साल आम चुनावों की वजह से निवेश की रफ्तार धीमी थी। लंबे समय के औसत से तुलना करें तो नए प्रोजेक्ट की घोषणाएं 56% कम रहीं।