एक और कोऑपरेटिव बैंक पर संकट, रिज़र्व बैंक ने कैश निकासी पर लगाई रोक

रिज़र्व बैंक ने नासिक के इंडिपेंडेंस कोऑपरेटिव बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगाई, कैश निकासी पर यह रोक छह महीने तक लागू रहेगी

Updated: Feb 11, 2021, 03:36 AM IST

Photo Courtesy: Livemint
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मुंबई। देश का एक और कोऑपरेटिव बैंक संकट में घिर गया है। रिज़र्व बैंक ने नासिक के इंडिपेंडेंस कोऑपरेटिव बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगा दी है। कैश की निकासी पर लगाई गई यह रोक छह महीने तक लागू रहेगी। हालाँकि इसके साथ ही रिज़र्व बैंक ने यह भी कहा है कि यह आदेश हालात को देखते हुए लगाया गया है। परिस्थिति के हिसाब से निर्देशों में बदलाव किए जा सकते हैं।

रिज़र्व बैंक की तरफ़ से बुधवार को जारी इस आदेश में कहा गया है, ''बैंक में कैश की मौजूदा हालत को देखते हुए, जमाकर्ताओं को बचत खाते या चालू खाते या अन्य किसी भी खाते में जमा रक़म में से कोई भी राशि निकालने की अनुमति नहीं होगी। हालाँकि ग्राहकों को अपनी जमा रक़म के एवज में कर्ज का निपटारा करने की छूट दी जा सकती है। ऐसा कुछ शर्तों के तहत किया जा सकता है।''

आरबीआई ने बुधवार को कारोबारी समय समाप्त होने के बाद से कुछ और कुछ पाबंदियां भी लगाई है। इसके तहत बैंक के सीईओ आरबीआई की पहले से मंज़ूरी लिए बिना कोई भी कर्ज नहीं देंगे या पुराने क़र्ज़ों का नवीनीकरण नहीं करेंगे। इसके अलावा वे कोई निवेश भी नहीं करेंगे और न ही कोई भुगतान करेंगे। आरबीआई के अनुसार बैंक पर इन पाबंदियों के लगाने का मतलब यह नहीं है कि उसका बैंकिंग लाइसेंस रद्द हो गया है। बैंक अब भी तमाम पाबंदियो का पालन करते हुए अपना बाक़ी कामकाज जारी रख सकता है। 

रिज़र्व बैंक ने बैंक के ग्राहकों को भरोसा दिलाया है कि इंडिपेंडेंस कोऑपरेटिव बैंक के 99.88 फ़ीसदी जमाकर्ता पूरी तरह से डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) बीमा योजना के दायरे में आते हैं, लिहाजा उन्हें घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है।

बैंकों में 5 लाख रुपये तक की जमा सुरक्षित होने की गारंटी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की ओर से होती है। डीआईसीजीसी, भारतीय रिजर्व बैंक के स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है, जो बैंक जमा पर इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराती है। डिपॉजिट बीमा के मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक, बैंक के दिवालिया होने या उसका लाइसेंस रद्द होने पर अधिकतम 5 लाख रुपये तक की धनराशि का भुगतान जमाकर्ता को किया जाता है। अगर किसी जमाकर्ता की इससे ज़्यादा रक़म बैंक में है, तो उसकी गारंटी नहीं है।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने नवंबर 2020 में महाराष्ट्र के जालना जिले के मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक में पैसों के भुगतान और कर्ज के लेनदेन पर छह माह के लिए पाबंदी लगा दी थी। पिछले साल जून में रिजर्व बैंक ने कानपुर के पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक पर भी इसी तरह की पाबंदियां लगाई थीं, जबकि मई में महाराष्ट्र के सीकेपी को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था।