MP : निजीकरण के ख़िलाफ़ बंद रही सभी 259 मंडियाँ

Protest Against Model Mandi Act :अगर 3 दिनों के अंदर माँगें पूरी नहीं हुई तो  21 जून को विधानसभा का घेराव

Publish: Jul 17, 2020, 08:05 AM IST

भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद मॉडल एक्ट (कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य) लागू किए जाने का प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। किसानों और व्यापारियों के बाद अब राज्य के मंडियों में कार्यरत कर्मचारी भी इस फैसले के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। प्रदेशभर के मंडी कर्मचारियों ने गुरुवार (16 जुलाई) को इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के समस्त जिलों में कलेक्टरों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर इस एक्ट को वापस लेने की मांग की। 

सरकार तक अपनी बात रखने के लिए कर्मचारियों द्वारा गठित संयुक्त संघर्ष मंडी बोर्ड ने अपने ज्ञापन में कहा है कि, 'मध्यप्रदेश शासन द्वारा दिनांक 1 मई 2020 को मॉडल एक्ट लागू करने के अध्यादेश जारी किए गए हैं किंतु उसके विस्तृत दिशा निर्देश अबतक जारी नहीं हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार ने 5 जून 2020 से कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य अध्यादेश जारी किया है लेकिन प्रदेश सरकार ने अबतक उक्त आदेश को अधिकृत करने संबंधी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। अपितु शासन स्तर पर गठित समिति में सुझाव हेतु प्रभावित लोगों को शामिल नहीं किया जिससे असंतोष की स्थिति निर्मित हो गयी है।'

विरोध कर रहे मंडी कर्मचारियों का कहना है कि, 'सरकार की नीतियों से सरकारी मंडियां खत्म हो जाएगी जिससे मंडी से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। उन्होंने कहा, 'मॉडल एक्ट के संबंध में भारत सरकार के अध्यादेश एवं मंडी अधिनियम 1972 में विरोधाभास होने के कारण कृषक, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी और मंडी बोर्ड के कर्मचारियों के हित प्रभावित हो रहे हैं। मंडी की आय उपज पर मिलने वाले टैक्स पर निर्भर है और इसी से मंडी कर्मियों का वेतन भुगतान होता है। यदि टैक्स नहीं वसूला जाएगा तो हमारे परिवार के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाएगा।' 

ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने सीएम शिवराज से मांग की है कि सरकार या तो मंडी का संचालन पूर्वानुसार करे या फिर मंडी में कार्यरत कर्मचारियों को नियमित शासकीय कर्मचारियों के रूप में सम्मिलित करे ताकि उनके वेतन/पेंशन की जिम्मेदारी शासन पर हो। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 3 दिनों के अंदर इन मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तो प्रदेशभर के कृषक, व्यापारी, हम्माल, तुलावटी, पेंशनर एवं मंडी बोर्ड/समिति के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा 21 जून को विधानसभा का घेराव किया जाएगा जिसका उत्तरदायित्व राज्य शासन का होगा।