भारतीयों के जीवन को औसतन 3.6 साल कम कर रहा है वायु प्रदूषण, शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट

वायु प्रदूषण का असर लोगों पर तंबाकू सेवन, कुपोषण और गंदे पानी से होने वाले नुकसान से ज्यादा हो रहा है। प्रदूषण की वजह से औसत उम्र में ज्यादा कमी हो रही है।

Updated: Aug 28, 2024, 07:22 PM IST

नई दिल्ली। देश में वायु प्रदूषण लोगों के जीवन पर काफी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। वायु प्रदूषण का असर लोगों पर तंबाकू सेवन, कुपोषण और गंदे पानी से होने वाले नुकसान से ज्यादा हो रहा है। शिकागो यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वक्त में वायु प्रदूषण औसत भारतीय के जीवन को 3.6 साल कम कर रहा है।

शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) के वायु गुणवत्ता कोष की एक स्टडी से पता चला है कि 42.6 फीसदी भारतीय नागरिक ऐसे इलाकों में रहते हैं, जो 40 µg/m³ के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक से भी ज्यादा हैं। यानी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। हालांकि, राहत की बात ये है कि भारत के वायु प्रदूषण में 2021-22 के बीच कमी आई है। भारत में 2021 के दौरान 51.3 µg/m³ वायु प्रदूषण था, जो 2022 में 41.4 µg/m³ हो गया। यह एक महत्वपूर्ण गिरावट है। 

प्रदूषण में होने वाली कमी से भारत में एक व्यक्ति की संभावित उम्र में एक साल की बढ़ोतरी होगी। अगर प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के मुताबिक हो जाता है, तो दिल्ली में रहने वाले लोगों की औसत उम्र में 7.8 साल की बढ़ोतरी हो सकती है। 
रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण का असर लोगों पर तंबाकू सेवन, कुपोषण और गंदे पानी से होने वाले नुकसान से ज्यादा हो रहा है। प्रदूषण की वजह से औसत उम्र में सबसे ज्यादा कमी हो रही है। मौजूदा वक्त में वायु प्रदूषण औसत भारतीय के जीवन को 3.6 साल कम कर रहा है। वहीं, बाल और मातृ कुपोषण से उम्र में 1.6 साल की कमी होती है। तंबाकू 1.5 साल और प्रदूषित जल 8.4 महीने की कमी करता है।

उत्तरी मैदानी इलाके, जहां 540.7 मिलियन लोग रहते हैं, सबसे ज्यादा पीड़ित हैं, जहां WHO के मानकों की तुलना में औसत उम्र में 5.4 साल की कमी आई है। हालांकि, अगर प्रदूषण में कमी होती रहती है, तो औसत भारतीय पिछले दशक के प्रदूषण स्तर की तुलना में नौ महीने ज्यादा जिंदा रह सकता है।