हफ्ते के आखिरी दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों के 8 लाख करोड़ रुपये डूबे
भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई, जिसके चलते निवेशकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई, जिसके चलते निवेशकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा और उनकी संपत्ति में करीब 8 लाख करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 0.83% या 662 अंक की गिरावट के साथ 79,402 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 0.90% या 218 अंक टूटकर 24,180 पर आ गया। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स के 30 में से 20 शेयर लाल निशान पर रहे, जबकि निफ्टी के 50 में से 38 शेयर नुकसान के साथ बंद हुए।
निफ्टी पैक में सबसे ज्यादा गिरावट इंडसइंड बैंक के शेयरों में दर्ज की गई, जो 18.55% की गिरावट के साथ सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला स्टॉक रहा। इसके अलावा, बीपीसीएल में 5.44%, अडानी एंटरप्राइजेज में 4.63%, श्रीराम फाइनेंस में 4.62% और कोल इंडिया में 3.38% की गिरावट आई। वहीं, कुछ कंपनियों ने सकारात्मक प्रदर्शन दिखाया, जिनमें आईटीसी के शेयर 2.45%, एक्सिस बैंक 1.95%, बीईएल 1.23%, एचयूएल 1.13% और ब्रिटानिया 1.12% की बढ़त के साथ बंद हुए।
सेक्टोरल सूचकांकों की बात करें तो निफ्टी ऑयल एंड गैस में सबसे ज्यादा 2.45% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, निफ्टी रियल्टी और निफ्टी प्राइवेट बैंक भी गिरावट के साथ बंद हुए। निफ्टी मेटल, निफ्टी फार्मा, निफ्टी पीएसयू बैंक और निफ्टी आईटी जैसे सेक्टर्स ने भी नकारात्मक रुख दिखाया। हालांकि, निफ्टी एफएमसीजी और निफ्टी हेल्थकेयर में कुछ तेजी दर्ज की गई, जो गिरावट के बावजूद सकारात्मक रुख को दर्शा रही थी।
वैश्विक बाजारों के मिले-जुले संकेतों और अमेरिकी शेयर बाजार में उच्च स्तर पर बंद होने के बावजूद भारतीय बाजारों में कमजोरी देखने को मिली। एशियाई बाजारों में भी निवेशकों का मनोबल कमजोर रहा, जिसका असर घरेलू बाजारों पर भी पड़ा। इस गिरावट का एक और कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को माना जा रहा है।
सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन, निवेशकों की पूंजी का बड़ा हिस्सा डूब गया, जिससे बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 7.7 लाख करोड़ रुपये घटकर 436.10 लाख करोड़ रुपये रह गया। निफ्टी के इंट्रा-डे लो लेवल 24,073.90 अंक पर पहुंचने से बाजार की अस्थिरता को और बल मिला।
ऐसी स्थिति में निवेशकों के लिए आने वाले दिनों में बाजार के रुझान पर नजर बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा, खासकर वैश्विक बाजारों और अन्य आर्थिक कारकों के आधार पर।