अदार पूनावाला का आश्वासन, नियामकों और राजनयिक स्तर पर हल होगा कोविशील्ड टीके को मान्यता का मसला
यूरोप में भारतीय कोवीशील्ड वैक्सीन मान्य नहीं है, जिसके कारण विदेश जाने के लिए मिलने वाले डिजिटल वैक्सीन पासपोर्ट में परेशानी का सामान करना पड़ रहा है। अब भारत में वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने उच्च स्तर पर बात करके मामला सुलझाने की बात कही है।

भारत में बनी कोवीशील्ड वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त है, लेकिन इसे अब तक यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने अप्रूवल नहीं दिया है। जिसका खामियाजा कोविशील्ड लगवाकर विदेश जाने वालों को भुगतना पड़ रहा है। यूरोप में कोविशील्ड को मान्यता नहीं होने की वजह से इस लोगों को वैक्सीनेशन पासपोर्ट पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अब भारत में वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने उच्च स्तर पर बात करके मामला सुलझाने की बात कही है।
इस बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के CEO अदार पूनावाला ने ट्वीट के जरिए बड़ा बयान दिया है। सोमवार को अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि ‘‘मुझे पता चला कि कोविशील्ड का डोज लेने वाले बहुत से भारतीयों को यूरोपीय संघ की यात्रा को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मैं सभी को विश्वास दिलाता हूं कि मैंने इसे उच्चतम स्तर पर उठाया है और उम्मीद है कि इस मामले को जल्द ही नियामकों और राजनयिक स्तर पर हल कर लिया जाएगा।’’
I realise that a lot of Indians who have taken COVISHIELD are facing issues with travel to the E.U., I assure everyone, I have taken this up at the highest levels and hope to resolve this matter soon, both with regulators and at a diplomatic level with countries.
— Adar Poonawalla (@adarpoonawalla) June 28, 2021
भारत में कोरोना वैक्सीनेशन महाअभियान के तहत रोजाना लाखों लोगों को कोवीशील्ड की डोज लगाई जा रही है, लेकिन भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में बनी एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन कोविशील्ड को कई देशों के अप्रूवल का अब भी इंतजार है, अब तक कई देशों ने कोवीशील्ड को लेकर अप्रूवल नहीं दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यूरोपीय संघ (EU) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड को खारिज कर दिया है। अब कोविशील्ड लगवाने वाले लोगों को यूरोपीय संघ का “ग्रीन पास” नहीं देने का फैसला लिया गया है। कहा जा रहा है कि यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने सिर्फ चार टीकों को मंजूरी दी है जिनका उपयोग यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा पासपोर्ट वैक्सीनेशन सर्टीफिकेट जारी करने के लिए हो सकता है। यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने फाइजर/बायोएनटेक की कॉमिरनाटी मॉडर्न, एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वेक्सजेरविरिया, जॉनसन एंड जॉनसन की जानसेन को मंजूरी दी है।
EMA ने कोविशील्ड को अप्रूवल नहीं दिया है, जबकि यह भारत समेत कई देशों में करोड़ों लोगों को लगाई जा चुकी है। जबकि कोवीशील्ड को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मंजूरी दी गई थी। बावजूद इसके यूरोपियन यूनियन ने इसे खारिज कर दिया है, कोवीशील्ड की डोज लगवाने वालों को वैक्सीनेशन पासपोर्ट नहीं दिया जा रहा है। यूरोपीय यूनियन के कई सदस्य देशों ने डिजिटल वैक्सीन पासपोर्ट जारी करना शुरू किया है, जिसके माध्यम से यूरोपीय लोगों को यात्रा के लिए स्वतंत्र रूप से आने-जाने की परमीशन मिलेगी। वैक्सीन पासपोर्ट से ही पता चलेगा कि लोगों को कोरोना का टीका लग चुका है। वहीं EU ने कहा था कि सदस्य देशों को इस बात की परवाह किए बिना वैक्सीन पासपोर्ट जारी करना चाहिए कि किसी को कौन सी वैक्सीन लगी है। लेकिन अब ग्रीन पास ईयू-व्यापी विपणन प्राधिकरण से प्राप्त करने वाले टीकों तक ही सीमित होंगे।
अब यूरोपीय संघ जॉइंट डिजिटल सर्टिफिकेट देने पर काम कर रहा है, जिन्हें कोरोना टीका लग गया है। वहीं कोरोना टेस्ट करवाने वाले और कोरोना से रिकवर हुए लोगों को इसमें शामिल किया जा रहा है। इन यूरोपीय संघ की तरफ से फ्री सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा, बताया जा रहा है कि इसमें सुरक्षा सुविधाओं के साथ एक क्यूआर कोड रहेगा। जिनके पास यह सर्टीफिकेट होगा उन्हें यूरोपीय देशों में ट्रेवल करने के बीच क्वारंटीन या फिर एक्सट्रा कोरोना टेस्टिंग नहीं करवाना पड़ेगा।
कुछ यूरोपीय देश इस सर्टीफिकेट का उपयोग करने लगे हैं। जिनमें स्पेन, जर्मनी, ग्रीस और पोलैंड शामिल हैं। वहीं 1 जुलाई से दूसरे यूरोपिय देश भी इस सर्टीफिकेट का उपयोग करने की तैयारी में हैं। अब यूरोपिय देशों में कोवीशील्ड वैक्सीन की मान्यता पर सवाल उठने से भारतीयों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।