DU के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का निधन, UAPA केस में 10 साल जेल में रहने के बाद हुए थे बरी
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का निधन हो गया है। उनकी आयु 50 वर्षा से ज्यादा थी। वे करीब सात महीने पहले जेल से छूटे थे।

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का शनिवार को निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान ही सरकारी अस्पताल में उनका निधन हो गया। उन्हें गॉल ब्लैडर में इन्फेक्शन था। शनिवार रात उन्हें हार्ट अटैक भी आया, जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ा।
जीएन साईबाबा के भाई रामदेव ने कहा कि हैदाराबाद के NIMS के डॉक्टरों ने रात 8:36 बजे उन्हें मृत घोषित किया। वे एक साथ कई बीमारियों से ग्रसित थे। NIMS में 5 दिन पहले उनकी गॉल ब्लैडर की सर्जरी हुई थी। इसके बाद वे ठीक हो रहे थे। लेकिन अचानक उनके गॉल ब्लैडर में पस बनने लगा। उन्हें फीवर और एब्डॉमिन में दर्द होने लगा।
डॉक्टरों ने 2 दिन पहले पस निकालने का इलाज शुरू किया। इसके बाद पेट में इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हुई। उनका बीपी लेवल गिरा। दिल की धड़कनें बंद हुईं। किडनियों ने भी काम करना बंद कर दिया। शनिवार को आए हार्ट अटैक के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
बता दें कि नक्सलियों से कथित संबंध रखने के शक में साल 2014 उन्हें गिरफ्तार किया गया था। महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने मार्च 2017 में साईबाबा को दोषी ठहराया था। 5 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साईबाबा और 5 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा भी रद्द कर दी। 10 साल जेल में रहने के बाद मार्च 2024 में बरी हुए थे।
मार्च 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने उन्हें रिहा कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष उनपर लगे आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाया है। इसलिए उनकी उम्रकैद की सजा नहीं दी जा सकती है। जेल से बाहर आने के बाद साईबाबा ने कहा था कि वे बहुत बीमार हैं। वे इलाज करवाने के बाद ही बोलने लायक हो पाएंगे।
साईबाबा ने रिहाई के बाद कहा था कि मेरी खराब तबीयत के लिए डॉक्टर जो दवाएं देते थे, वो मुझे नहीं दिया जाता था। मैं आज आपके सामने जिंदा हूं पर मेरे शरीर का हर हिस्सा फेल हो रहा है। मुझे जेल के अंदर कई मेडिकल इमरजेंसी हुईं, पर उन्होंने मुझे सिर्फ पेनकिलर्स दिए और कुछ टेस्ट कराए। मैं अब तक मान नहीं पा रहा हूं कि मैं आजाद हो गया हूं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अब तक उसी जेल में हूं।