पंजीयन के लिए आवेदन कर हफ्तेभर किया था इंतजार
सीएम श्रमिकों को धैर्य रखने के लिए कह रहे हैं जबकि औरंगाबाद ट्रेन हादसे में मृत श्रमिकों की पंजीयन की कोशिशें हुईं बेकार

रेलवे ट्रैक पर कुचलकर मरे मध्य प्रदेश के मजदूरों पर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। हादसे में बचे मजदूर धीरेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने एक हफ्ते पहले पंजीयन के लिए कोशिशें की थीं, लेकिन एमपी सरकार से कोई उत्तर नहीं मिला। आखिरकार मजबूर होकर उन्हें पैदल चला पड़ा।
यही आरोप कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का भी है। दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट कर कहा है कि उनके कार्यालय द्वारा 2,3 और 4 मई को महाराष्ट्र में फंसे मजदूरों को वापस लाने के लिए और पंजीयन के लिए कई कोशिशें की गईं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और उनके दफ्तर में किसी ने फोन तक नहीं उठाया। दिग्विजय सिंह ने इस हादसे के जिम्मेदार लोगों पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है।
महाराष्ट्र राज्य के प्रभारी प्रमुख सचिव से जो फ़ोन नंबर दिया गया था उस पर लगातार मेरे कार्यालय से ०२/०३/०४ मई तक संपर्क करने का प्रयास करता रहा लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया। अब शिवराज जी यह बतायें कि इस हादसे के लिये कौन ज़िम्मेदार है?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 9, 2020
वहीं, एमपी कांग्रेस ने जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के ट्वीट पर व्यंग्य करते हुए लिखा है कि “ हे महामानव, युद्ध भूमि के उपदेश और अपने लोगों की मृत्यु के भाव के अंतर को कब समझोगे?” कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस बाबत ट्वीट किया और मांग की थी कि महाराष्ट्र से समन्वय के लिए अधिकृत आईएएस अधिकारी को निलंबित कीजिए। कांग्रेस ने इसे शिवराज का जंगलराज भी बताया है।
भूखे मज़दूरों की मौत को जीवन सार मत बताइये..!
— MP Congress (@INCMP) May 9, 2020
जो आदमी स्वास्थ्य मंत्री रहते हुये महामारी का मुक़ाबला करने की बजाय बैंगलोर के रिसोर्ट में बैठकर सत्ता का सौदा करे, वो और उसकी नैतिकता किसी परिचय की मोहताज नहीं।
शोक नहीं व्यक्त कर सकते, कोई बात नहीं...कुछ देर शर्मिंदा ही रह लो। https://t.co/RWOyYIEQ0W
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने महाराषट्र से मजदूरों की वापसी और पंजीयन के लिए प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी को ये जिम्मा दिया है और एक हेल्पलाइन नंबर 0755-2411180 भी दिया गया है जिसपर मजदूर अपना पंजीकरण कराकर सरकारी मदद के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन मुश्किल ये है कि ना तो नेता और ना ही मजदूरों को इस विभाग से कोई जवाब मिल पा रहा है।
कल ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने दुर्घटना पर दुख जताते हुए मजदूरों की मदद का भरोसा दिलाया था तथा उपरोक्त हेल्पलाइन पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की थी। लेकिन आज मजदूर और विपक्ष सभी ये सवाल पूछ रहे हैं कि जिन मजदूरों के मरने के बाद शिवराज जी ने विमान भेजा, अगर पहले ही बस भेज दिया होता तो शायद ये हादसा टल सकता था।
अन्य राज्यों में मौजूद मध्यप्रदेश के श्रमिक बंधुओं को वापस लाने हेतु हमारी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। लगभग सवा लाख मज़दूर वापस लाये जा चुके हैं।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 8, 2020
श्रमिकों से विनम्र अनुरोध करता हूँ, आपका जीवन हमारे लिए कीमती है, धैर्य न खोएँ, रजिस्ट्रेशन कराएँ, हम आपको सुरक्षित घर पहुँचाएंगे! pic.twitter.com/okkQ5NkQTL
जीवन से हारे इन मजदूरों पर अंग्रेजी अखबार द हिन्दु ने परिजनों से बात की तो पता चला कि मौत से एक रात पहले उमरिया जिले के एक मजदूर ने अपनी पत्नी, कृष्णावती सिंह को फोन करके कहा था कि उनके पास खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा है और उनका कॉन्ट्रैक्टर उन्हें पैसे नहीं दे रहा है। कृष्णावती ने पति को याद करते हुए कहा कि 800 किलोमीटर चलकर घर पहुंचने के लिए निकले उनके पति ने गुरूवार की रात 9 बजे फोन पर कहा था कि भूख- प्यास से मरने की नौबत आ चुकी है….आगे वो ये भी कहती हैं कि उनके पास एक पशु भी नहीं, जिसे बेचकर वो किसी तरह अपने घर परिवार का पेट पालतीं...।
कृष्णावती मामन गांव, उमरिया की रहनेवाली हैं, जिस गांव के 4 मजदूर इस ट्रेन हादसे में कटकर मर गए। कुछ ऐसा ही बयान हादसे के शिकार हुए शहडोल के मजदूर परिवारों का भी है।