संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है भाजपा सरकार, लोकतंत्र बचाओ सभा में बोले दिग्विजय सिंह

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने सीएम चौहान के बहुत याद आऊंगा वाले बयान पर कहा कि मामा को कोई याद नहीं करने वाला, उन्हें केवल दलाल ही याद करेंगे।

Updated: Oct 02, 2023, 07:16 PM IST

भोपाल। विदिशा के लटेरी से शुरू हुई "लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ" यात्रा सोमवार को भोपाल पहुंची। राजधानी भोपाल के लांबा खेड़ा से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी यात्रा में शामिल हुए और कड़ी धूप के बावजूद 10KM से भी अधिक पैदल चलते हुए अंबेडकर मैदान तक पहुंचे। यहां उन्होंने "लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ" जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा सरकार संविधान के साथ खिलवाड़ कर रही है।

दिग्विजय सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, 'हमारे आदिवासी भाई बहनों ने सुनील कुमार आदिवासी के साथ लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा की। इस यात्रा का केवल एक ही उद्देश्य था, जो संवैधानिक अधिकार हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति को मिले हुए हैं, उसकी जानकारी जन-जन तक पहुंचाना, और जमीनी हकीकत पता लगाना। जिनको हमने पट्टे दिए थे, उनके पास वे पट्टे बचे है की नहीं? कहीं वे पट्टे कैंसिल तो नहीं हो गए और जो जंगल की जमीनों के पट्टे होने थे वे हुए की नहीं। इन्हीं जानकारियों के लिए ये यात्रा शुरू की गई थी। मैं सुनील कुमार वकील जी से कहूंगा कि वे इस यात्रा के दौरान जिन- जिन गांवों में उनको समस्या देखने को मिली है। आप उसकी सूची बनाकर मुझे दें। इसके बाद हम उनकी समस्या को प्रशासन के सामने रखेंगे।' 

दिग्विजय सिंह ने सीएम चौहान के जब चला जाऊंगा तब याद आऊंगा वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा, 'ये मामा कह रहे हैं कि उनकी विदाई के बाद लोग उसे लोग याद करेंगे। उन्हें कोई नहीं याद करने वाला, शिवराज सिंह को केवल और केवल उनके दलाल ही याद करेंगे। जो दलाल थे और जो शिवराज को कमीशन देते थे वे ही उनको याद करने वाले हैं और कोई नहीं।' उन्होंने विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि आपके वहां नवम्बर में चुनाव होने है। और इस चुनाव में आपको निर्णय करना है कि किसकी सरकार बनानी है। भारतीय जनता पार्टी को लगभग 20 साल हो गए हैं। लेकिन इन 20 सालों में जनता का कोई भला नहीं हुआ है। 

सिंह ने आगे कहा, 'हमने पेसा कानून सन् 2000 में ही लागू कर दिया था, लेकिन भाजपा वाले इसका भी क्रेडिट ले रहे हैं कि ये पेसा कानून हमने लागू किया है। मगर मैं कहता हूं कि आपने लागू नहीं किया आपने इस पेसा कानून को 20 साल तक दबाए रखा और आदिवासियों के हक को दबाए रखा। इस सरकार ने जनता का राज समाप्त कर दिया नौकरियां नहीं दी, बैकलॉक नहीं भरे और नौकरियां उन्हीं को दी जिनसे पैसा लिया, इस सरकार में गरीबों को नौकरी नहीं मिली है।'

बता दें कि बीते 21 सितंबर को सुनील आदिवासी के नेतृत्व में विदिशा जिले के लटेरी तहसील के काठपुरा गांव से "लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ" यात्रा निकली थी। इसका समापन सोमवार को भोपाल के अंबेडकर मैदान में हुआ। हालांकि, सुबह जब यात्रा भोपाल में एंटर की तो पुलिस ने लांबाखेड़ा में ही उन्हें रोक दिया। सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पुलिस अफसरों से कहा कि अगर यात्रा को आगे बढ़ने नहीं दिया तो मैं यहीं धरने पर बैठ जाऊंगा। इसके बाद अफसरों ने यात्रा को आगे बढ़ने के लिए हामी भर दी। इसके बाद यात्रा ढाई बजे अंबेडकर मैदान पहुंची।

लांबाखेड़ा में दिग्विजय सिंह ने संविधान बचाओ यात्रियों से कहा कि, 'मेरा नियम है, मैं पूजा किए बिना अनाज नहीं खाता। यात्रा रोके जाने का पता चला तो बिना भोजन किए आ गया हूं, फिर भी मैं आपके साथ पैदल चलूंगा।' इसके बाद दिग्विजय सिंह कड़ी धूप के बावजूद लांबाखेड़ा से भोपाल तक 10KM पैदल चले।

लोकतंत्र बचाओ पदयात्रा का उद्देश्य

* भारत की लगभग 36 करोड़ आबादी अभी भी स्वास्थ्य, पोषण, स्कूली शिक्षा और स्वच्छता से वंचित है। दूसरी तरफ, देश का एक तबका ऐसा है जिसे किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है।
* भारत की राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्से पर सिर्फ 1 फीसदी लोगों का कब्ज़ा है और यह असमानता लगातार तेज़ी से बढ़ रही है। भारत के इस 1 फीसदी समूह ने देश के 73 फीसदी धन पर कब्ज़ा किया हुआ है।
* लोकतंत्र का चौथा खंभा माने जाने वाले मीडिया की आज़ादी भी आज सवालों के घेरे में है।
* इन 71 वर्षों में अन्य बातों के अलावा सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और कट्टरवाद को भी प्रश्रय मिला। इसकी वज़ह से असहिष्णुता की प्रवृत्ति भी बढ़ी है। जातिवाद की जड़ें लगातार गहरी होती जा रही हैं।
* निस्संदेह इस तरह की परिस्थितियाँ लोकतंत्र की कामयाबी की राह में बाधक बनती है।
* लोकतंत्र की कामयाबी के लिये ज़रूरी है कि सरकार अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करे। विकास के तमाम दावों के बावजूद देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी आदि बेहद गंभीर समस्याएँ है। आज़ादी के 77वर्षों बाद भी करोड़ों लोग दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
* विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका लोकतांत्रिक शासन-पद्धति के अंग होते हैं, लेकिन इन तीनों में ही अव्यवस्था का बोलबाला है और ये बेहद दबाव में काम करती हैं।
* जनता की भागीदारी की कमी की वज़ह से ही हमारा लोकतंत्र महज एक ‘चुनावी लोकतंत्र’ बनकर रह गया है। चुनाव में मतदान का प्रयोग एक अधिकार के रूप में नहीं, एक कर्त्तव्य के रूप में किया जाने लगा है।
* लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर बुनियादी सवाल कहीं पीछे छूट गए हैं और लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और लोकतांत्रिक संस्कृति को विकसित करने के लिये पहले बुनियादी समस्याओं को हल किया जाना ज़रूरी है ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफल बनाया जा सके।

पदयात्रा की माँगे

1. ई.वी.एम मशीन की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाए।
2. दल बदल क़ानून मज़बूत किया जाए एवं 6 वर्षों तक ऐसे प्रत्याशियों पर चुनाव लड़ने से रोक लगायी जाए।
3. जहाँ पोलिंग बूथ कैप्चर होते हैं ऐसे स्थान पर पुलीस सुरक्षा प्रदान की जाए एवं वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी की जाए।
4. मतदाताओं को प्रलोभन देते पाए गए प्रत्याशियो का नामांकन रद्द किया जाए।