बच्चों के लिए खिलौना जमा करने निकले सीएम शिवराज, ठेला लेकर लोगों से मांगने पहुंचे भीख

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए खिलौना भीख में मांग रहे हैं, मंगलवार को वे राजधानी भोपाल में हाथ ठेला लेकर भीख मांगने निकले थे

Updated: May 24, 2022, 03:56 PM IST

भोपाल। लंबे समय से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के आरोपों से घिरी एमपी सरकार अब ठेले पर खिलौने जुटाने के अभियान पर उतरी है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल की सड़कों पर ठेला चलाकर लोगों से बच्चों के खिलौनों की भीख जुटा रहे हैं। हाल ही में चाइल्ड बजट का ढ़िंढ़ोरा पीटनेवाले सीएम शिवराज के पास आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए फंड नहीं है। अब वो लोगों से कह रहे हैं कि जनता ही आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद ले और हो सके तो बच्चों के लिए खिलौना भी दान करे। सीएम के इस अभियान को कांग्रेस ने स्टंट करार दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि शिवराज अब परमानेंटली ठेला ही चलाएंगे।

जानकारी के मुताबिक सीएम शिवराज ने मंगलवार शाम राजधानी के अशोका गार्डन क्षेत्र से खिलौना एकत्रीकरण के अभियान का शुभारंभ किया। सीएम शिवराज इलाके के स्वामी विवेकानंद चौराहा पहुंचे और यहां से हाथ ठेला लेकर परिहार चौराहा और महावीर मार्ग होते हुए मनसा देवी मंदिर तक गए। इस दौरान उनके साथ  मंत्री विश्वास सारंग, गोपाल भार्गव, गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर समेत कई बीजेपी नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।

सीएम ने इस अभियान को 'एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी' नाम दिया गया है। इस अभियान के तहत वे स्थानीय लोगों से खिलौने मांगकर जमा कर रहे हैं। चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग ने इस अभियान की तारीफ की है और कहा है कि आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए खिलौने और जरूरी चीजें हम जन-सहयोग से जुटा रहे हैं।

सीएम के इस अभियान की कुछ लोग तारीफ कर रहे हैं, तो कई लोग सवाल खड़े कर रहे हैं। मसलन विपक्षी दल कांग्रेस पूछ रही है कि पिछले 17 साल तक सीएम रहने के बावजूद आज आंगनवाड़ियों की ऐसी स्थिति क्यों है कि बच्चों के लिए खिलौने भीख में मांगने पड़ रहे हैं। युवा नेता विवेक त्रिपाठी ने कहा है कि सीएम चौहान यदि सरकारी फंड का दुरुपयोग इवेंटबाजी में नहीं करते तो खिलौने के लिए उन्हें भीख मांगने की नौबत नहीं पड़ती। प्रदेश के लिए इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता कि सरकार के पास बच्चों के लिए फंड नहीं है। शिवराज सरकार ने प्रदेश को इतना खोखला कर दिया है कि खिलौने भी भीख में मांगने पड़ रहे हैं।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इसे नाटक नौटंकी करार दिया है। कमलनाथ ने इससे पहले कहा था कि, 'आज वह बिजली की बात नहीं करते, बेरोजगारी की बात नहीं करते, किसान की बात नहीं करते..? अब वह ठेला चलाएंगे, अब तो वह समय आ रहा है कि वह परमानेंटली ठेला ही चलाएंगे। यह कुछ भी कर लें, ठेला चला लें, वह सोचते हैं कि इससे प्रदेश की जनता गुमराह होगी लेकिन मुझे प्रदेश की जनता पर विश्वास है कि वह सच्चाई का साथ देगी।'

हालांकि, कुछ हस्तियों ने इस अभियान को समर्थन भी दिया है। फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने इस मुहिम में सहयोग की इच्छा जताई है। वहीं कवि कुमार विश्वास ने कुछ किताबें बच्चों के लिए भेजने की घोषणा की है। लेकिन मुद्दा यह है कि जनता तो वैसे भी सहयोग करने की भावना रखती है, मगर सरकार अपनी जिम्मेदारी से क्यों बच रही है। इसी साल बजट सत्र में पहली बार चाइल्ड बजट पेश करने का दावा करनेवाली सरकार का सारा बजट कहां हवा हो गया? क्या सीएम का दायित्व यह नहीं था कि वो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्या सुनते और बच्चों के लिए आवंटित बजट का उपयोग कर इस दिखावटी सद्भावना की बजाय जिम्मेदारी उठाते?