भोपाल में बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में ईडी ने वाहन कंपनी के मालिक को किया गिरफ्तार

पूर्व प्रबंधक कृष्ण दत्त दुबे (अब दिवंगत) और अन्य के साथ मिलकर 14.93 करोड़ रुपये (अप्रैल 2015 और मार्च 2016 के बीच) की धोखाधड़ी की। जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर 50 वाहन ऋण (ट्रकों के लिए) गलत तरीके से मंजूरी लेकर उसका वितरण किया।

Updated: Jan 16, 2024, 10:51 AM IST

भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 15 जनवरी यानी सोमवार को केनरा बैंक से 14 करोड़ रुपये से अधिक की कथित ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन के मामले में मध्य प्रदेश की एक वाहन कंपनी के मालिक को गिरफ्तार किया। अदालत ने उसे जमानत देने से मना कर दिया, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया है। 

संघीय एजेंसी ने एक बयान में बताया कि जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक पुष्पेंद्र सिंह को 13 जनवरी को गिरफ्तार किया गया और अगले दिन उन्हें विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में पेश किया गया।

ईडी ने पिछले सप्ताह मध्य प्रदेश के जबलपुर, सतना, कटनी और रीवा जिलों में आठ स्थानों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद यह गिरफ्तारी हुई। एजेंसी ने बताया कि सिंह के आवास से 16 लाख रुपये नकद और अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए।

ईडी के मुताबिक पूर्व प्रबंधक कृष्ण दत्त दुबे (अब दिवंगत) और अन्य के साथ मिलकर 14.93 करोड़ रुपये (अप्रैल 2015 और मार्च 2016 के बीच) की धोखाधड़ी की। जाली और मनगढ़ंत दस्तावेजों के आधार पर 50 वाहन ऋण (ट्रकों के लिए) गलत तरीके से मंजूरी लेकर उसका वितरण किया। बैंक से ऋण की राशि जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी गई थी, लेकिन अधिकांश मामलों में डीलर ने ग्राहकों को वाहन वितरित नहीं किए और ऋण खाते एनपीए बन गए, जिससे बैंक को गलत तरीके से 14.93 करोड़ का नुकसान हो गया। ईडी की पड़ताल में सामने आया है कि पुष्पेंद्र सिंह के निजी इस्तेमाल के लिए आरटीजीएस, नकद निकासी, अन्य सावधि ऋणों के पुनर्भुगतान आदि के माध्यम से जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खातों से ऋण काट लिया गया था। 

ईडी ने आरोप लगाया कि पुष्पेंद्र सिंह ने केनरा बैंक के पूर्व प्रबंधक कृष्ण दत्त दुबे (अब निधन हो चुका है) और अन्य के साथ मिलकर जगदंबा एएमडब्ल्यू ऑटोमोटिव्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से 14.93 करोड़ रुपये (अप्रैल 2015 और मार्च 2016 के बीच) की धोखाधड़ी की। आरोपियों ने जाली और झूठे दस्तावेज दाखिल कर 50 वाहनों (ट्रकों के लिए) पर गलत तरीके से ऋण मंजूर कराए और धन हासिल किया। एजेंसी ने बताया कि सिंह ‘जानबूझकर’ अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रियाओं और गतिविधियों में शामिल थे।