भाजपा नेता कर रहे खाद की कालाबाजारी, किसान पुत्र शिवराज ने कृषि विभाग का किया सत्यानाश: दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह ने कहा कि 1993 से लेकर 2003 तक दस साल की कांग्रेस सरकार में एक बोरी खाद की भी कालाबाजारी नहीं हुई। लेकिन 2004 के बाद किसान पुत्र कहलाने वाले शिवराज मुख्यमंत्री बने और कृषि विभाग का सत्यानाश कर दिया।
भोपाल। मध्य प्रदेश में खाद की किल्लत से अन्नदाता किसान परेशान हैं। पर्याप्त मात्रा में किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है तो उन्हें महंगे दामों पर अपनी जरूरतें पूरी करना पड़ रही है। प्रदेश में बड़े स्तर पर खाद की कालाबाजारी हो रही है। लेकिन सरकार न तो खाद दिलाने को लेकर गंभीर है न ही कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई हो रही है। इसे लेकर गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी व कांग्रेस किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
दिग्विजय सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेशभर में खाद की चौतरफा किल्लत है। मैं साल 1993 से लेकर 2003 तक जब मुख्यमंत्री था, इस दस साल में एक बोरी खाद की कालाबाजारी नहीं हुई। हमारी सरकार में सुभाष यादव के पास कृषि विभाग था और हमने तय किया था कि जितनी खाद किसानों को चाहिए उसे बोवनी से पहले सहकारी समिति के गोदाम पर उपलब्ध करा देंगे और एडवांस लिफ्टिंग हो जाती थी। लेकिन 2004 के बाद किसान पुत्र कहलाने वाले शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने और 18 साल में उन्होंने कृषि विभाग का सत्यानाश कर दिया।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहले कृषि विभाग में भ्रष्टाचार का उदाहरण देखने को नहीं मिलता था। सिर्फ ट्रांसपोर्ट कमाऊ विभाग माना जाता था। लेकिन आज वो पीछे छूट गया और कृषि विभाग आगे हो गया। हमलोगों की व्यवस्था थी कि खाद 100 फीसदी सहकारी गोदामों में बंटेगी। भाजपा ने उसे बदल दिया और प्राइवेट पार्टी को सौंप दिया। उसपर अब कोई नियंत्रण कहीं नजर नहीं आता। आज सबसे बड़ा घोटाला यही है कि लाखों टन खाद जो बंट जाता था उसकी कालाबाजारी हो रही है। फेसबुक पर हमने 24 घंटे पहले एक पोस्ट डाली थी कि खाद की कहां किल्लत है। मध्य प्रदेश के हर जिले से पांच सौ कमेंट आए हैं। किसानों ने बताया कि खाद का असल कीमत ये है और बाज़ार में इतने रुपए में मिल रहा और भाजपा का नेता काला बाजारी कर रहा है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान आज खुद कृषि मंत्री हैं लेकिन उनके राज्य में किसानों को खाद नहीं मिल रहा। पहले उन्होंने अपने राज्य के कृषि विभाग को लूटा अब पूरे देश में लूट रहे हैं। मोदी जी कहते थे न खाऊंगा न खाने दूंगा। उन्हें मैं कहना चाहता हूं कि शिवराज सिंह के विभाग पर नजर जरूर रखें।
पत्रकार वार्ता के मुख्य बिंदु
* देश में DAP की किल्लत सरकार की नीतियों के कारण है, वर्तमान में देश में 100 लाख टन DAP की आवश्यकता है जिसमे से देश में 4 लाख टन प्रति माह का उत्पादन होता ,इसके लिए कच्चा माल भी आयात करना पडता ,आयत में समस्या से 20 % करीब कम उत्पादन हुआ है बाकि लगभग 5 लाख टन DAP का आयात होता, तब जाकर हमारी आवश्यकता पूरी हो रही है।
* इस बर्ष देश में अप्रैल से अगस्त तक 16 लाख टन करीब DAP आया था जबकि इसी दौरान पिछले बर्ष 32.5 लाख टन का आयात हुआ था जो 16.5 लाख टन यानी 50 % कम है।
* मध्यप्रदेश में DAP की 9 लाख टन से ज्यादा की जरुरत है जिसके एवज में अभी तक मध्य प्रदेश में लगभग 4.5 लाख टन DAP आया है बाकि 5 से 6 लाख टन की कमी है।
* अगले 15 दिन मध्य प्रदेश के किसानो के लिए बेहद महत्वपूर्ण है बड़े रकबे में बुबाई एक साथ शुरू होगी। सरकार DAP की जगह NPK डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। DAP में 18 % नाइट्रोजन एवं 46% फास्फोरस होता है। यदि DAP की जगह NPK देते है तो 6 लाख टन DAP की कमी को पूरा करने के लिए 9 लाख टन NPK 12:32:16 की जरुरत रहेगी जबकि अभी तक कुल 3 लाख टन NPK आया है, पिछले साल से 1 लाख टन कम है। मतलब 350 रैक सिर्फ NPK चाहिए।
* यह बात का प्रमाण है की मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री जी के जिले मुरैना में 24,500 मीट्रिक टन डीएपी की डिमांड है। इसके मुकाबले किसानों के लिए महज 8,247 मीट्रिक टन डीएपी ही उपलब्ध है। मतलब कृषि मंत्री के क्षेत्र में 33 % आपूर्ति हुई है (25 सितम्बर को प्रकाशित खबर के अनुसार) जब कृषि मंत्री के क्षेत्र के ये हाल हैं तो बाकि जगह कितनी उपलब्धता हुई होगी इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
* पहले तो आयात 50% कम हुआ, दूसरा मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी डिमांड वास्तविक जरुरत से कम भेजी, तीसरा अग्रिम भण्डारण पिछले साल की तुलना में इस साल 3.51 लाख मीट्रिक टन डीएपी का कम हुआ। सरकार की APC की संभाग स्तर की पिछली बैठकों, कलेक्टरों के स्टेटमेंट देखिये वो सब कह रहे है की DAP की जगह दूसरे उर्वरक डाले तो सरकार बताये कि किसान कौन से उर्वरक डाले और उनकी गुणवत्ता की ग्यारंटी कौन लेगा? किसानों तो डीएपी की ही मांग कर रहे हैं।
* पूर्व में खाद की उपलब्धता सहकारी समितियों के माध्यम से कराई जाती थी जिससे किसानों को उनके गाँव में गुणवत्ता युक्त शासकीय दाम पर बिना किसी परेशानी के खाद उपलब्ध होता था किन्तु भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने लोगों को उपकृत करने के लिए खाद की लगभग आधी मात्र खुले बाज़ार में विक्री की छूट दे रखी है जिससे किसानों को शहर आकर महंगे दाम में खरीदना पड़ता है, परिवहन लागत लगती है, समय ख़राब होता है।
* खुले बाज़ार में विक्री से खाद के साथ अन्य सामग्री जैसे अन्य उर्वरक, कीटनाशक दवाई, टॉनिक, बीज, सल्फर, जिंक के अलावा ऐसे उत्पाद जो किसानों की आवश्यकता नहीं है उन्हें भी मजबूरन टैग करके खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है।
* सरकार खोखले दावा करती है कि किसानो को जीरो % ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएँगे मगर जब किसानो को साख समितियों से खाद नहीं मिलेगा ,नगद ऋण नहीं मिलेगा तो फिर कैसे जीरो % ब्याज का फायदा किसानो को मिलेगा ? अभी तो उल्टा किसान की जेब से अतितिक्त पैसा जा रहा है।
* मध्यप्रदेश में रवि की फसल के लिए 22 लाख टन यूरिया की जरुरत है जबकि अभी 10-12 लाख मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता है जैसे कि अक्टूबर माह मे 4.5 लाख टन यूरिया की मांग है किन्तु 2 लाख 90 हज़ार टन ही उपलब्ध हो पाया। आगामी माह मे भी इस कमी की पूर्ति होना असंभव है जिसके कारण अगला माह भी किसानों के लिए परेशानी का सबब बनेगा।
* सरकार द्वारा नेनो यूरिया और नेनो DAP का बड़े स्तर पर क्षेत्र मे प्रचार प्रसार दानेदार यूरिया और दानेदार DAP के विकल्प के रूप मे किया जा रहा है जबकि नेनो यूरिया और नेनो DAP का विगत वर्ष फसलों पर डालने पर वो प्रभाव नहीं देखा गया जो दानेदार यूरिया और DAP का होता है। नेनो यूरिया की एक बॉटल जो कि 500 ml की एक एकड़ के लिए पर्याप्त बताई जा रही है जिसमे 4 प्रतिशत नाइट्रोजन प्रदर्शित है मात्रा के आधार पर 20 ग्राम सक्रिय तत्व नाइट्रोजन है जिसकी कीमत 220 रुपये है जबकि एक बोरी यूरिया मे 20 किलो सक्रिय तत्व नाइट्रोजन है जिसकी कीमत 270 रुपए है इस प्रकार किसान को नेनो यूरिया का उपयोग अपने खेत मे करने पर कम मात्रा मे नाइट्रोजन तत्व कई गुना अधिक राशि मे मिल रहा है।
* इस बात को इस तरह समझना चाहिए कि गेंहू के एक हेक्टयर उत्पादन हेतु 120 kg नाइट्रोजन सक्रिय तत्व की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति हेतु 6 कट्टे यानि 260 kg दानेदार यूरिया की ज़रूरत होती है जिसकी कीमत लगभग 1620 रुपए आएगी जबकि नेनो यूरिया की 120 kg नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए लगभग 6000 बोतल की ज़रूरत पड़ेगी जिसकी कीमत लाखों मे होगी।
* विगत कई वर्षों से वैज्ञानिकों द्वारा फसलों पर 2 से 5 प्रतिशत यूरिया के घोल के छिड़काव की अनुशंसा की गई है जो कि प्रति एकड़ 2 kg यूरिया का छिड़काव खेतों मे करने का चलन कृषकों के बीच मे पूर्व से ही है जिसमे किसानों को केवल 12 रुपए की लागत आती है परंतु वहीं अगर 500 ml नेनो यूरिया खेतों मे छिड़काव किया जाता है जिसमे तत्व की मात्रा भी बहुत कम है साथ मे कीमत 220 रुपए है जो कि 20 गुना ज्यादा है और फसलों पर प्रभाव भी कम है।
कांग्रेस के सवाल
* DAP की उपलब्धता के सम्बन्ध में सरकार की क्या योजना है?
* क्या सरकार अन्य उर्वरकों से NPK के तत्वों की पूर्ती करना चाहती है? इसके सम्बन्ध में सरकार की क्या कार्य योजना है?
* क्या अन्य उर्वरकों से पूर्ती हेतु सरकार द्वारा किसानों के बीच में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया है?
* सरकार द्वारा अग्रिम भण्डारण योजना के अंतर्गत यूरिया DAP का अग्रिम भण्डारण क्यों नहीं कराया गया? यदि आनन् फानन में सरकार द्वारा उर्वरकों की उपलब्धता की जाती है तो गुणवत्ता की सुनिश्चितत्ता कैसे होगी?
* अगले 15 दिनों में गेंहू, चना, सरसों, आलू एवं प्याज की लगभग बुवाई हेतु किसान अपनी तैयारियों में लगा हुआ है जिसमे लगभग 90 प्रतिशत यानी लगभग 9 लाख मीट्रिक टन DAP की आवश्यकता है जिसकी समय पर पूर्ती नहीं होने पर फसलों का उत्पादन घटना तय है इसकी जवाबदेही किसकी होगी ?
* मध्यप्रदेश के सभी जिलों में लम्बे समय से एक ही जगह पर जमे हुए जिम्मेदार अधिकारीयों के कारण गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया प्रभावित हो चुकी है एवं नकली और अमानक आदान (खाद, बीज, दवाई) की विक्री को बढ़ावा देकर किसानों को ठगा जा रहा है सरकार ऐसे अधिकारीयों पर क्यूँ मेहरबान है ?
* प्रति वर्ष रवि सीजन में 140 लाख हेक्टेयर से ज्यादा ज़मीन पर फसलों की बुवाई की जाती है सरकार, कृषि विभाग एवं प्रशासन उर्वरक उपलब्धता, वितरण एवं गुण नियंत्रण व्यवस्था कराने में पूर्णतः असफल है उर्वरक की उपलब्धता करवाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है जिसमे सरकार पूर्णतः असफल रही है जिन किसानों के बल पर प्रदेश को 7 बार कृषि कर्मण्य पुरूस्कार मिला उन्ही किसानों द्वारा खाद मांगने पर उन पर लाठियां क्यों बरसाई जा रही हैं?
* नेनो यूरिया और नेनो DAP आदि को किसी भी उर्वरक के साथ जबर्दस्ती नहीं बेचा जा सकता है ऐसा आदेश भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है क्या कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के आदेश को धता बताते हुए नेनो यूरिया और नेनो DAP बेचने को उतारू है?
कांग्रेस की मांग
* मध्य प्रदेश सरकार केंद्र सरकार से DAP और जरुरी उर्वरको की स्पेशल डिमांड करे।
* प्रदेश के कृषि सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त को दिल्ली में उर्वरक उपलब्ध नही होने तक तैनात करे.ताकि समय से उर्वरक की व्यवस्था की जा सके।
* जिन क्षेत्रो में बुबाई पहले हो रही है वहा खाद की व्यवस्था पहले कराए.
* रैक प्रबंधन एवं हैंडलिंग को बढ़ाये ,ट्रांसपोर्टर्स बढ़ाये ताकि खाद को गाँवो / समितियों तक परिवहन किया जा सके।
* केंद्र सरकार का आदेश की किसी भी उर्वरक पर टैगिंग तुरंत रोके फिर भी मध्य प्रदेश में सभी जगह उर्वरको के साथ टैगिंग खुलेआम चल रही हैः .
* उर्वरक का लाइव स्टॉक जिले स्तर डिस्प्ले किया जाए ताकि किसानो को उलब्धता की जानकारी रहे।
* उर्वरको के मूल्यों को कंट्रोल करने के लिए उर्वरक खरीदी केन्द्रों पर एक एक अधिकारी नियुक्त किए जाए ताकि किसानो से कोई भी अधिक मूल्य की वसूली ना करे।
* जिन किसानो को उर्वरक नहीं मिल रहा है ,उनको होने वाले उत्पादन नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाए।
* अमानक और नकली उर्वरक रोकने के लिए सभी SSP/NPK कम्पनियों के स्पेशल 10-10 नमूने हमारे और मिडिया के सामने लाइव टेस्ट कराए जाए , क्योकि मध्य प्रदेश में SSP की गुणवत्ता पर कई प्रशन है, आगर सरकार का कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नही है तो हम सबके सामने जाँच कराए।
* केंद्र सरकार द्वारा जितने भी SSP के नमूने गोदाम और फैक्ट्री से लिए गए उनमे से अधिकांश के रिजल्ट अमानक आये मगर राज्य सरकार की लैब में मानक कैसे आते है? इसकी जाँच के लिए कमेटी बनाई जाए।
* मूल्य के लिए निगरानी समिति का गठन हो, जिसमे किसान नेताओ को प्राथमिकता के साथ रखा जाए।