भोपाल में गैस पीड़ित महिलाओं ने इंसाफ के लिए अन्नजल त्यागा, सरकार से कोर्ट में सही आंकड़े पेश करने की मांग
राजधानी भोपाल स्थित नीलम पार्क में गैस पीड़ित महिलाओं ने शुक्रवार से अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन शुरू कर दिया है।

भोपाल। भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का संघर्ष लगातार जारी है। गैस कांड पीड़ितों ने शुक्रवार से राजधानी भोपाल में अनिश्चितकालीन निर्जला अनशन शुरू कर दिया है। करीब 10 महिलाएं अन्न और जल त्यागकर यहां धरने पर बैठी हुईं हैं। उनके साथ सैंकड़ों की संख्या में अन्य गैस पीड़ित महिला, पुरुष व बच्चे मौजूद हैं।
दरअसल, आगामी 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में गैस कांड से जुड़े एक मामले की सुनवाई है। गैस पीड़ितों का मांग है कि सरकार इस दौरान कोर्ट में सही आंकड़े पेश करे। ताकि, उन्हें उचित मुआवजा मिल सके। अनशन कर रहे गैस पीड़ितों ने आशंका जताई है कि शिवराज सरकार सर्वोच्च न्यायालय में गैस से पीड़ित हुए लोगों और इससे मरने वालों की संख्या बेहद कम बताने जा रही है, जबकि असल में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है।
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भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा कि आज से बिना पानी अनशन शुरू करने वाली 10 गैस पीड़ित गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। बावजूद वे अनशन कर रही हैं। गैस हादसे से यह महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों को खो चुकी है। कुछ के बच्चे और पोते-पोतियों को जन्म से ही कई बीमारियां हैं। फिर भी 93% प्रभावित आबादी की तरह उन्हें केवल 25 हजार रुपए का मुआवजा दिया गया है।
10 women survivors of the 1984 Union Carbide gas disaster in Bhopal today began their indefinite fast without water demanding proper additional compensation for deaths and injuries caused by the
— Rachna Dhingra (@RachnaDhingra) December 30, 2022
disaster. If u r in Bhopal pls join us in Neelam Park. Pls RT for wider reach pic.twitter.com/dVtAseA2zW
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने बताया कि 10 जनवरी को सर्वोच्च अदालत में सुधार याचिका पर सुनवाई होनी है। हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह सही आंकड़े पेश करें। जिससे गैस पीड़ितों के साथ न्याय हो सके। भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने बताया कि सरकार डॉव केमिकल को कानूनी जिम्मेदारी से बचाना चाहती है। वो सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि 90 फीसदी से ज्यादा लोग यूनियन कार्बाइड के जानलेवा गैस से केवल अस्थायी रूप से घायल हुए थे, जबकि अस्पताल के रिकॉर्ड और शोध डेटा दिखाते हैं कि गैस पीड़ितों को स्थायी बीमारियां हुईं। सरकार ने इन्हें पेश नहीं करने का फैसला किया है।
गैस पीड़ित लीलाबाई ठाकुर, कपूरी यादव, बत्ती बाई रजक, चिरौंजी अहिरवार, विष्णु पंथी, प्रेमलता चौधरी, शहजादी बी, कस्तूरी कसोटे, लक्ष्मी अहिरवार और लक्ष्मी आई बिना पानी के अनशन पर बैठी हैं।