आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी कर रही सरकार, बलपूर्वक विस्थापन पर बरसे दिग्विजय सिंह

होशंगाबाद के बाबई में दर्जनों आदिवासी परिवार बलपूर्वक विस्थापन के खिलाफ धरने पर बैठे हैं, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सीएम के समक्ष उठाया मुद्दा, बोले- जल्द न्याय नहीं मिला तो स्वयं उनके साथ धरने पर बैठूंगा

Updated: Jun 02, 2022, 02:36 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में बलपूर्वक विस्थापन का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह मामले में सीएम शिवराज को पत्र लिखा है। सिंह ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि जल्द से जल्द आदिवासियों को न्याय नहीं मिला तो वे स्वयं अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।

दरअसल, यह मामला होशंगाबाद जिले के बाबई तहसील अंतर्गत ग्राम रोरीघाट, ग्राम नयाखेड़ा, ग्राम अंजनढाना, ग्राम जामुनढोगा, ग्राम नानकोट एवं ग्राम विरजीखापा का है। पीड़ित आदिवासी परिवारों ने 
सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के अधिकारियों पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है। पीड़ित परिवारों ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से मुलाकात कर उन्हें बताया कि सतपुड़ा टाईगर रिजर्व द्वारा इन सभी पांच ग्रामों को सूचित किये बिना बलपूर्वक विस्थापन किया गया है। 

सिंह ने इस संबंध में सीएम चौहान को पत्र लिखकर कहा कि, 'विकल्प 02 के तहत उन्हें शासन की विस्थापन नीति अनुसार प्रत्येक विस्थापित परिवार को 2 हेक्टयर भूमि एवं 2 लाख पचास हजार रूपये नगद प्रदान किया जाए। जबकि अधिकारियों द्वारा लगभग 175 परिवारों में से 60 परिवारों में से भी किसी को आधा एकड़ तो किसी को 1 एकड़ भूमि ही प्रदान की गई है। प्रशासन द्वारा आश्वासन देने के बावजूद अब तक मुआवजा नहीं दिये जाने के कारण ग्रामीण परेशान होकर दिनांक 28.04.2022 से निभौरा नर्सरी के जंगल में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठने को मजबूर हो गये है।' 

राज्यसभा सांसद ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि, 'अपने जायज हक की मांगों को लेकर एक माह से सैकड़ों आदिवासी सोहागपुर तहसील स्थित वन विभाग की निभौरा नर्सरी के सामने धरने पर बैठे हैं। प्रशासन का रवैया इतना असंवैदनशील है कि वन विभाग और राजस्व विभाग का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी अभी तक उनसे बातचीत करने नही पहुँचा है। आदिवासी वर्ग के प्रति उपेक्षा का यह रवैया साबित करता है कि आपकी सरकार में आदिवासी वर्ग कितनी प्रताड़ना का शिकार बन रहा है। आपकी पार्टी के विधायक, सांसद और प्रभारी मंत्री तक इन गरीब और विस्थापित किये गये आदिवासियों से चर्चा करने नहीं पहुँचे है। कलेक्टर, कमिश्नर सहित वन विभाग के बड़े अधिकारी भी आंदोलनरत वनवासियों से चर्चा नहीं कर रहे है।'

सिंह ने सीएम से मांग की है कि आदिवासी वर्ग के साथ हो रहे अन्याय को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें उनकी भूमि अधिग्रहित भूमि के बदले प्रत्येक परिवार को 2 हेक्टेयर भूमि एवं मकान बनाये जाने हेतु अनुदान देने का निर्देश दें। सिंह ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि, आदिवासियों की मांग पर यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई तो वे खुद आदिवासियों के साथ तब तक धरने पर बैठेंगे जबतक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता।