मैं राजशाही नहीं लोकशाही का प्रतीक हूं, मुझे राजा बोलना बंद करें: यूथ कॉन्फ्रेंस में बोले दिग्विजय सिंह

शोषण आज भी हो रहा है, शोषण रुका नहीं है। क्योंकि बीजेपी की मानसिकता अभी भी मनुवादी संस्कृति की है। शिक्षा के माध्यम से ही हम समाज में बदलाव ला सकते हैं: दिग्विजय सिंह

Updated: Mar 19, 2023, 06:58 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अपने तीन दिवसीय ग्वालियर संभाग के दौरे से रविवार को भोपाल लौटे। राजधानी भोपाल में उन्होंने यूथ कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि लोग मुझे राजा बोलते हैं और मुझे इससे आपत्ति है। सिंह ने तर्क देते हुए कहा कि मैं राजशाही का नहीं बल्कि लोकशाही का प्रतीक हूं। इसलिए मुझे राजा बोलने के बजाए दिग्विजय बोला करें।

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री भोपाल स्थित रविंद्र भवन में  "लोकतंत्र को बचाने में युवाओं की भूमिका" विषय पर आयोजित यूथ कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, "आज का सेमिनार लोकतंत्र के विषय में है। लोकतंत्र राजशाही में नहीं होता है लोकतंत्र जनता के राज में होता है। इसलिए बार-बार आपके वक्ता दिग्विजय सिंह की बजाए राजा-राजा कह रहे थे। मुझे इसपर आपत्ति है। मैं राजशाही का प्रतीक नहीं हूं मैं लोकतंत्र का प्रतीक हूं। इसलिए आज से राजा बोलना बंद कीजिए और मुझे दिग्विजय सिंह अथवा दिग्विजय जी कहें।"

सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा, "साथियों भारत आजाद हुआ और जब ये फैसला करना था कि कौन हमारा संविधान लिखेगा तो गांधी ने एक ही बात कही। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान लिखने का अवसर ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जिसने वर्षों का उत्पीड़न सहा हो, जिसने अपना जीवन गरीबी में बिताया हो। ऐसा व्यक्ति ही भारतीय संविधान का रचयिता हो सकता है। इसीलिए बाबा साहब आंबेडकर को संविधान लिखने के लिए चुना गया और उन्होंने हमें भारतीय संविधान दिया।" 

सिंह ने कहा, "भारतीय संविधान का तब उन लोगों ने विरोध किया जो मनुवादी संस्कृति के पोषक थे। जो इतिहास में गरीब-वंचित वर्गों को शोषित करते थे। उन्होंने संविधान का विरोध किया। दुर्भाग्य से वही विचारधारा आज सत्ता में है। शोषण आज भी रुका नहीं है। शोषण आज भी हो रहा है। क्योंकि आरएसएस की मानसिकता अभी भी मनुवादी संस्कृति की ही है। सरकारी अधिकारियों की मानसिकता भी वही है। इसलिए एससी एसटी वर्ग को सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं मिल रहा है। शिक्षा के माध्यम से ही हम समाज में बदलाव ला सकते हैं।"

दिग्विजय ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि, "इन्हें न लोकतंत्र पर भरोसा है न संविधान पर भरोसा है।ये एकतंत्र के हिमायती हैं, ये तानाशाही के हिमायती हैं। चीन और रूस में जिस प्रकार लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही चल रही है उसी प्रकार ये भारत में चलाना चाहते हैं। आज न केवल संविधान बल्की लोकतंत्र खतरे में है। संसद में राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया गया क्यूंकि वे मोदी और अडानी के बीच सांठगांठ पर सवाल उठाते हैं। उनके भाषण में जहां-जहां मोदी अडानी का जिक्र था उसे विलोपित कर दिया।"

सिंह ने आगे कहा, "सन 1996 में पेसा का कानून बना। मध्य प्रदेश भारत का पहला राज्य था जिसने 1998 में बस्तर में एक पेड़ के नीचे ग्रामसभा की। यहां हमने कहा कि अब से सारा निर्णय ग्राम सभा करेगा कोई ऊपर से निर्णय नहीं होगा। सीएम रहते मैने ग्राम स्वराज का कानून बनाया। हमने सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जो गांधी चाहते थे। ग्राम सभा को अधिकार दिया। लेकिन 2003 के बाद ग्राम पंचायतों के सारे अधिकार छीन लिए गए। क्योंकि भाजपा के लोग मोनोपॉली के मध्यम से सत्ता का केंद्रीकरण करते हैं और यही इनकी मानसिकता है।"

सिंह ने कांग्रेस पार्टी के आदिवासी नेताओं की तारीफ करते हुए कहा कि, "साल 2018 में कांग्रेस पार्टी के 27 आदिवासी विधायक चुने गए थे, जिनमें केवल एक विधायक बिसाहुलाल बिका। अन्य 26 लोगों ने करोड़ों रुपए का ऑफर ठुकरा दिया। ये आदिवासियों की ईमानदारी है। वे भले ही गरीब हैं लेकिन बिकेंगे नहीं।" सिंह ने स्वीकारा की सहरिया आदिवासियों को राजनीति में जो संरक्षण मिलना चाहिए वो उन्हें नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि साल 1998 में उन्होंने सहरिया समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया था जो केवल ढाई हजार वोटों से चुनाव हार गए थे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री रहते उनकी सरकार ने 10वीं पास आदिवासी युवाओं को नौकरी देने की योजना बनाई। इसके बाद एक भी 10वीं पास युवा ऐसा नहीं बचा था जो बेरोजगार हो।" 

सिंह ने कार्यक्रम में मौजूद युवाओं से कहा कि, "यदि किसी के साथ अन्याय होता है, चाहे वो कांग्रेस से हो या न हो हम उनकी लड़ाई लड़ेंगे। खासकर आदिवासी और दलितों के साथ कहीं अन्याय हो रहा हो तो उनके मुकदमे भी अदालतों में लड़ने के लिए हम हमेशा मदद करेंगे। आपकी जो भी परेशानी है हमारे दफ्तर में नोट कराएं।" कार्यक्रम के आयोजनकर्ता एडवोकेट सुनील आदिवासी ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए प्रदेशभर से जागरूक युवा भोपाल पहुंचे थे। इनमें मुख्य रूप से नवनिर्वाचित युवा सरपंच, जिला और जनपद सदस्य, सिविल राइट्स को लेकर काम करने वाले युवा, एडवोकेट और सोशल एक्टिविस्ट शामिल थे।