बाजार में बिक रहे चमकदार फल बन सकते हैं कैंसर की वजह, जानिए कैसे करें बचाव
फल को जल्दी से पकाने के लिए खतरनाक कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल हो रहा है, जो सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है। इससे कैंसर, लीवर और किडनी से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बचाव के लिए फलों को गुनगुने नमक वाले पानी में धोकर खाएं और प्राकृतिक तरीके से पके फल ही खरीदें।

फल हमेशा से ही सेहत के लिए लाभकारी माने जाते हैं। डॉक्टर और पोषण विशेषज्ञ लोगों को ताजे फलों के नियमित सेवन की सलाह देते हैं ताकि शरीर को जरूरी विटामिन और मिनरल्स मिल सकें। लेकिन आजकल बाजार में उपलब्ध फल अपनी प्राकृतिक गुणवत्ता खोते जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें जल्दी पकाने के लिए रसायनों का उपयोग किया जा रहा है। इन रसायनों के कारण फल ना केवल अपने पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं, बल्कि ये धीरे-धीरे शरीर के लिए जानलेवा भी बन सकते हैं।
आजकल आम, केला और तरबूज जैसे फलों को पकाने के लिए व्यापक रूप से कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग किया जा रहा है, जो एक खतरनाक रासायनिक पदार्थ है। यह पदार्थ भारत सहित कई देशों में प्रतिबंधित है, लेकिन इसके बावजूद इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फॉस्फीन जैसी जहरीली गैसें मौजूद होती हैं, जो फलों में मौजूद नमी से प्रतिक्रिया कर इथीलीन जैसी गैस बनाती हैं। यह गैस फलों को कुछ ही घंटों में कृत्रिम रूप से पकाने का काम करती है, लेकिन इससे फल अंदर से अधपके और बाहर से अधिक चमकदार नजर आते हैं।
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इस प्रकार के रासायनिक तरीके से पकाए गए फलों के सेवन से शरीर में गंभीर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। लगातार इनके सेवन से पेट से संबंधित बीमारियां, लीवर और किडनी की कार्यक्षमता पर असर और सबसे गंभीर रूप से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर आंतों और फेफड़ों में ट्यूमर बनने की संभावना कई गुना बढ़ सकती है, क्योंकि ये रसायन शरीर में जाकर कोशिकाओं के प्राकृतिक विकास क्रम को बिगाड़ देते हैं। यह धीमा जहर शरीर को भीतर से नुकसान पहुंचाता है और धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों को जन्म देता है।
इन खतरनाक रसायनों से खुद को सुरक्षित रखने का एक आसान और पारंपरिक उपाय यह है कि फलों को गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक मिलाकर 15 से 20 मिनट तक भिगोकर रखा जाए। ऐसा करने से फल की सतह पर चढ़ा हुआ जहरीला केमिकल और नकली रंग काफी हद तक हटाया जा सकता है। साथ ही कोशिश करें कि स्थानीय किसानों से सीधे फल खरीदें, जो बिना रसायनों के प्राकृतिक रूप से पकाए गए हों। जागरूकता और सतर्कता ही हमें इस अदृश्य खतरे से बचा सकती है।