MP : ठेकों की नीलामी जारी, ई लिफाफे में मांगे रेट

Liqour Shops : बीडिंग सिस्टम (बोली लगाने) वाली व्यवस्था बंद, अब ई-लिफाफे की प्रक्रिया से शराब ठेकों की नीलामी

Publish: Jun 25, 2020, 03:57 AM IST

मध्यप्रदेश में शराब बेचने के लिए आबकारी विभाग आज फिर शराब ठेकों की नीलामी कर रहा है। इसके पहले 22 जून को यह नीलामी तय की गई थी और 900 करोड़ रुपए रिज़र्व प्राइज तय किया गया था लेकिन प्रक्रिया पूरी न होने के कारण उसे बुधवार तक के लिए रोका गया था। आबकारी विभाग ने पूर्व में होने वाले बीडिंग सिस्टम (बोली लगाने) वाली व्यवस्था को बंद कर दिया है। नीलामी के दौरान अब ई-लिफाफे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इंदौर के 175 शराब ठेकों की नीलामी एक साथ होगी जिसका रिज़र्व प्राइज तय नहीं किया गया है।

मध्यप्रदेश में शराब ठेकेदारों ने सरकार के लिए अनेक परेशानियां खड़ी कर रहे हैं। लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट में फंसी सरकार शीघ्र शराब दुकान प्रारंभ करवा कर आय चाहती है। उस पर 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के पहले इन ठेकों की नीलामी का दबाव भी है। सोमवार को हुई नीलामी प्रक्रियामें जगदीश अरोरा और पीएन ग्रुप, रमेश राय, मोनू भाटिया, जवाहर जायसवाल, बाबी भाटिया-महेंद्र सिंह नामदेव, पिंटू भाटिया और लक्ष्मीनारायण जैसे ठेकेदारों के पांच ग्रुप ने हिस्सा लिया था। सोमवार देर शाम तक प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण इसे बुधवार तक के लिए बढ़ाना पड़ा था। प्रदेश सरकार ने इस दौरान नीलामी की रिज़र्व प्राइज 900 करोड़ रखी थी।

नहीं होगी बिडिंग प्रक्रिया

आबकारी विभाग ने अपनी शराब नीति में बड़े बदलाव किए हैं। इस बार नीलामी के दौरान बिडिंग प्रक्रिया नहीं हो रही है। आबकारी आयुक्त राजीव दुबे के मुताबिक रिजर्व प्राइज के पश्चात टेंडर के बाद होने वाली बोली (बिडिंग) प्रक्रिया अब नहीं होगी। दुकानों के लिए सीधे ठेकेदारों से ई लिफाफे में उनके द्वारा निर्धारित मूल्य लिखित में लिया जाएगा। यह राशि रिजर्व प्राइज से जिस ठेकेदार ने सर्वाधिक लिखी होगी उसे ठेका दिया जाएगा। सहायक आबकारी आयुक्त आरएन सोनी ने बताया है कि इंदौर की सारी दुकानों की नीलामी एक साथ ही होगी। अलग-अलग दुकानों की नीलामी अलग से नहीं की जाएगी वहीं रिजर्व प्राइज क्या रहेगा इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है।

उमा भारती सरकार की पॉलिसी से नीलामी

ऐसा पहली बार हुआ है कि आबकारी विभाग को पॉलिसी में बदलाव करते हुए ठेके को 9 महीने के लिए नीलामी करना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने उमा भारती के कार्यकाल में बनी पॉलिसी के तहत ठेकों की नीलामी करने का निर्णय लिया है। तकरीबन 13 साल तक चली इस पॉलिसी से सरकार को 20 प्रतिशत ज्यादा मुनाफा होता था। तत्कालीन आबकारी आयुक्त ओपी रावत ने 'सिंगल टॉप सिस्टम' पॉलिसी को लागू किया था। इस सिस्टम के तहत नीलामी में पहले एक-एक दुकान, शेष बची दुकानें अधिकतम तीन दुकान के ग्रुप में सर्वाधिक बोली पर नीलाम की जाती थीं। इसके बाद भी बची दुकानें टेंडर प्रक्रिया और बंद लिफाफों में सर्वाधिक मूल्य पर नीलाम की जाती थी।