MP: चपरासी ने सरकारी खजाने से उड़ाए 10 करोड़ रुपए, बैंक मैनेजर के साथ मिलकर किया खेल
मध्य प्रदेश के राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के चपरासी को 10 करोड़ रुपये हड़पना भारी पड़ गया। खुलासा होने के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। फरार आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है।
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक चपरासी ने विभाग के दस करोड़ रुपए बैंक से गबन कर दिया। भोपाल पुलिस ने बीज प्रमाणीकरण विभाग में करीब चार महीने पहले हुए 10 करोड़ रुपए के गबन के मामले में एक चपरासी समेत कुल 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने बैंक मैनेजर के साथ मिलकर इस गबन को अंजाम दिया।
आरोपियों ने इस पैसे से करोड़ों की जमीन खरीदकर सरकारी योजना का लाभ लेने और योजना में मिलने वाली सब्सिडी हड़पने का प्लान भी बनाया था। हालांकि इससे पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने मामले का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 30 हजार रुपए का नकद इनाम देने की घोषणा की है।
मामले में सेंट्रल बैंक का तत्कालीन मैनेजर फरार है। आरोपियों ने सरकारी पैसे से जमीन खरीदी। उनका प्लान जमीन पर लोन लेकर गबन की गई रकम चुकता करने का था। वे इसमें सफल हो पाते उससे पहले ऑडिट में हेरफेर पकड़ में आ गई। आरोपियों ने 50 से ज्यादा बैंक के फर्जी करंट अकाउंट खुलवा रखे थे। योजनाओं के नाम पर लोन के तौर पर ली जाने वाली रकम इन खातों में ट्रांसफर की जाती थी। पुलिस ने 9 करोड़ रुपए रिकवर कर लिए हैं।
डीसीपी रियाज इकबाल के मुताबिक, चपरासी और शहर के इमामी गेट स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के तत्कालीन मैनेजर के खिलाफ 15 सितंबर को केस दर्ज किया गया था। राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के प्रमुख सुखदेव प्रसाद अहिरवार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि 30 नवंबर 2023 को संस्था ने इमामी गेट स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 5-5 करोड़ रुपए की 2 एफडी बनवाई थी। पिछले दिनों पता चला कि दोनों ही एफडी तोड़कर पूरी राशि संस्था के चपरासी बृजेंद्र दास नामदेव के एचडीएफसी बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई।
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इस एफडी पर मिले ब्याज की 66 लाख रुपए की राशि भी बृजेंद्र दास के खाते में चली गई। बाद में जब जांच की गई, तो पता चला इस मामले में फर्जी कागजों का उपयोग किया गया है। पुलिस के अनुसार, सेंट्रल बैंक के तत्कालीन मैनेजर नोएल सिंह की मिलीभगत भी सामने आ रही है। नोएल का तबादला मुंबई हो चुका है। एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही उसका मोबाइल फोन बंद है। उसकी गिरफ्तारी के बाद साफ हो सकेगा कि अन्य कौन-कौन अधिकारी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे। इससे पहले उसने कितने और फर्जीवाड़े इसी प्रकार अंजाम दिए हैं।