शिवराज सरकार में खरीदी गई पशु संजीवनी एंबुलेंस की जांच कराएगी मोहन सरकार, 65 करोड़ रुपए हुए थे खर्च

पशुपालन मंत्री लखन पटेल का कहना है कि योजना के तहत इन एंबुलेंस को खरीदने की जरूरत ही नहीं थी। सरकार पूरे मामले की जांच कराएगी और तय करेगी कि इनका भविष्य क्या होगा।

Updated: Mar 05, 2025, 03:03 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 12 मई 2023 को तत्कालीन शिवराज सरकार ने पशु संजीवनी योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य राज्यभर में पशुओं के लिए डोर-टू-डोर इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं देना था। सरकार ने 65 करोड़ रुपए की लागत से 406 विशेष चिकित्सा सुविधाओं से लैस एंबुलेंस खरीदी थीं। अब भाजपा की ही मोहन यादव सरकार इस योजना की जांच कराने जा रही है।

दरअसल, शिवराज सरकार ने इस योजना के तहत महिंद्रा बोलेरो कैंपर गोल्ड पिकअप को कस्टमाइज कराकर एंबुलेंस में बदला था। इनमें 2 दवा कैबिनेट, वॉशबेसिन व फ्रिज लगे थे। जो 1 बोलेरो की कीमत 10 लाख थी, पर इन्हें मॉडिफाई करने के बाद यह 16 लाख रुपए की हो गई।

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इन एंबुलेंस में पीछे की ओर रखे गए भारी सामान की वजह से बार-बार दुर्घटनाएं हो रही थीं। शिकायतें आ रही थी कि गाड़ियां पलट रही हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है। इसके चलते इनमें से कैबिनेट, फ्रिज और वॉशबेसिन हटाने का फैसला लिया गया। यानी सरकार ने पहले भारी कीमत देकर मॉडिफाइड एंबुलेंस खरीदीं, फिर साधारण वाहन में बदलने के आदेश जारी कर दिए।

मोबाइल वेटरिनरी यूनिट के रूप में शुरू हुई इस योजना में 1962 टोल फ्री नंबर के जरिए पशुपालकों को सेवा दी जानी थी। योजना के अनुसार, राज्य के 313 विकासखंडों में कम से कम एक और बड़े ब्लॉकों में दो एंबुलेंस भेजी गई थीं। साथ ही, 55 जिला मुख्यालयों में एक-एक एंबुलेंस रखी गई थी। मौजूदा स्थिति ये है कि राज्य के कई जिलों में ये पशु एंबुलेंस अब या तो बेकार खड़ी हैं या खराब हो चुकी हैं।

इस पूरे मामले पर राज्य के पशुपालन मंत्री लखन पटेल का कहना है कि योजना के तहत इन एंबुलेंस को खरीदने की जरूरत ही नहीं थी। सरकार पूरे मामले की जांच कराएगी और तय करेगी कि इनका भविष्य क्या होगा। बहरहाल, अब देखना ये होगा कि जांच के बाद मोहन सरकार क्या कुछ एक्शन लेती है।