लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को भी है गुजारा भत्ते का अधिकार: MP हाई कोर्ट

एमपी हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से संबंधित मामले में सुनाया ऐतिहासिक फैसला, कहा अगर एक पुरुष और महिला एक साथ रह रहे हैं और उनकी शादी नहीं हुई है तो महिला गुजारा भत्ता पाने के अधिकार से वंचित नहीं हो जाती

Updated: Apr 07, 2024, 06:20 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से संबंधित एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने पीड़ित महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को भी अपने पुरुष साथी से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। 

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में ट्रायल कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें ट्रायल कोर्ट ने पीड़ित महिला को 1500 रुपए प्रति माह का गुजारा भत्ता दिए जाने का फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट की तरह ही महिला के पक्ष में ही फैसला सुनाया। 

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर पुरुष और महिला के बीच संबंध रहे हैं तो महिला को गुजारा भत्ता दिए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के फैसले से भी यही निष्कर्ष निकलता है कि दोनों पति पत्नी के रूप में ही रह रहे थे। 

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हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी शादी का झांसा देकर रेप करने से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि लिव इन रिलेशनशिप टूटने के बाद महिला का अकेले रहना मुश्किल हो जाता है और समाज भी ऐसे रिश्तों को नहीं स्वीकारता है, ऐसे में महिला के पास एफआईआर दर्ज करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। 

इसी साल फरवरी महीने में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता कानून लाया गया है जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किए जाने का प्रावधान है।