मध्य प्रदेश में 33 फीसदी किशोर डिप्रेशन के शिकार, मानसिक स्वास्थ्य को लेकर AIIMS की चौंकाने वाली रिपोर्ट

एम्स भोपाल के शोध और ओपीडी विश्लेषण ने चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। इन रिपोर्ट्स से पता चला है कि मध्य प्रदेश में 33.1% किशोर डिप्रेशन और 24.9% चिंता जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

Updated: Nov 19, 2024, 02:25 PM IST

भोपाल। भारत तेजी से उन देशों में शामिल हो रहा है, जहां युवाओं में डिप्रेशन की बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी बहुत सी वजहें हैं। पढ़ाई से लेकर नौकरी के बढ़ते दबाव से युवा डिप्रेशन में जाते हैं। हालांकि, अब देखा जा रहा है कि नए उम्र के किशोरों के डिप्रेशन जाने की वजह मोबाइल फोन है। एम्स भोपाल के शोध और ओपीडी विश्लेषण ने इसे लेकर चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।

एम्स की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल फोन और स्क्रीन टाइम की बढ़ती आदत बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रही है। इन रिपोर्ट्स से पता चला है कि मध्यप्रदेश में 33.1% किशोर डिप्रेशन और 24.9% चिंता जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

दरअसल, कोरोना महामारी के बाद बच्चों और किशोरों की मानसिक स्थिति को समझने के लिए एम्स भोपाल ने 2 साल तक एक अध्ययन किया। इसमें 413 किशोरों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 14 से 19 वर्ष थी। अध्ययन में पाया गया कि 56% किशोरों में उतावलापन और 59% किशोरों में गुस्से की अधिकता है।

डॉ. अनुराधा कुशवाहा जोकि चाइल्ड साइकोलोजिस्ट और शोधकर्ता हैं। उन्होंने बताया कि हम छोटे बच्चों में ऑटिज्म, डिले स्पीच और किशोरों में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता, मोटापा जैसी समस्याएं देख रहे हैं। माता-पिता यह नहीं समझते कि स्क्रीन टाइम को सीमित रखना कितना महत्वपूर्ण है। बच्चे बोलना देर से सीख रहे हैं, लेकिन मशीनों से जल्दी सीख रहे हैं।

एम्स भोपाल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. विजेंदर सिंह कहते हैं कि स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों के विकास में बाधा आ रही है। माता-पिता को बच्चों को परिवार के साथ अधिक समय बिताने और खेल-कूद में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

स्क्रीन टाइम को लेकर WHO की गाइडलाइन

* 2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए।
* 2 से 5 साल के बच्चों के लिए स्क्रीन समय 1 घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए।
* बड़े बच्चों और किशोरों को स्क्रीन टाइम को अन्य शारीरिक और मानसिक गतिविधियों के साथ संतुलित करना चाहिए।