कॉलर आईडी से नहीं हुई एक भी चीते की मौत, चीता प्रोजेक्ट प्रमुख का दावा

चीतों की लगातार मौत के बाद यह आशंका जताई जा रही थी कि उसके मौत का कारण रेडियो कॉलर से जुड़ा संक्रमण है। लेकिन चीता प्रोजेक्ट प्रमुख ने कहा कि किसी भी चीते की मौत कॉलर आईडी से नहीं हुई।

Publish: Sep 18, 2023, 10:17 AM IST

श्योपुर। भारत में चीता प्रोजेक्ट शुरू हुए पूरा एक साल हो गया है। 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितंबर से इसकी शुरुआत की थी। इस प्रोजेक्ट में पहले 8 चीते नामबिया और फिर 12 चीते साउथ अफ्रीका से लाकर कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए थे। लेकिन 20 चीतों में से 6 चीतों ने यहां दम तोड़ दिया। जिसमें से कुछ चीतों की मौत की वजह उनके गले में लगी कॉलर आईडी से हुए संक्रमण को माना जा रहा था। इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठने शुरू हुए।

चीता प्रोजेक्ट के एक साल पूरा होने पर इस प्रोजेक्ट के हेड एसपी यादव ने कहा कि किसी भी चीते की मौत कॉलर आईडी से नहीं हुई है। कॉलर आईडी एक विकसित तकनीक है पूरी दुनिया में इसे इस्तेमाल किया जाता है। जंगल में किसी मांसाहारी जानवर की ट्रेसिंग इसके बिना संभव नहीं है। यह पूरी तरह झूठ है कि चीतों की मौत कॉलर आईडी से हुई है। किसी भी चीता की मौत शिकार या अवैध शिकार में नहीं हुई है यहां चार शावक का जन्म भी हुआ जिसमें से एक अभी स्वस्थ्य है। बाकी 3 की मौत जलवायु सम्बंधित कारणों से हुई है।

विशेषज्ञ चीता प्रोजेक्ट को सफल मान रहे हैं। क्योंकि चीता प्रोजेक्ट में 50% चीतों की मौत की संभावना पहले से थी। इसमें प्रोजेक्ट के तहत 50% चीते भी सर्वाइव करेंगे तो इसे सफल माना जायेगा। फिलहाल 60% चीते जीवित हैं। तो यह राहत की बात है। 20 में से 7 नर और 7 मादा सहित यहां पैदा हुई एक मादा शावक भी जीवित है और स्वस्थ है। 

इस दौरान इस प्रोजेक्ट पर कई बार सवाल उठे मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। कोर्ट ने पूछा था अगर मध्य प्रदेश का वातावरण अनुकूल नहीं है तो राजस्थान में शिफ्ट कीजिये। सरकार ने कोर्ट को चीतों की शिफ्टिंग और प्रोजेक्ट के अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी दी। फिलहाल चीते कूनो में ही हैं। अभी तक हुई 6 चीतों की मौत प्राकृतिक मानी गयी और प्रोजेक्ट को सफल माना जा रहा है। इसी के साथ चीतों की अगली खेप लाने की तैयारी भी चल रही है। जिन्हें दूसरे क्षेत्र में रखा जाएगा।