BJP के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं पन्ना कलेक्टर, वे पद पर रहने के लायक नहीं: चुनाव में धांधली पर कोर्ट की टिप्पणी

गुन्नौर जनपद उपाध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचाने को लेकर पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा को हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है, उच्च न्यायालय ने कहा है कि ये पद पर रहने के लायक नहीं हैं

Updated: Aug 04, 2022, 07:16 AM IST

पन्ना। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान कई जिलों बड़े स्तर पर धांधली की खबरें सामने आई। विपक्षी दल कांग्रेस लगातार आरोप लगाती रही कि प्रशासनिक अधिकारी बीजेपी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं। इसी बीच अब हाईकोर्ट ने भी स्वीकारा है कि चुनाव में अधिकारियों ने सत्ताधारी दल के लिए काम किया। जबलपुर हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा कि पन्ना कलेक्टर पॉलिटिकल एजेंट की तरह काम कर रहे हैं और वे पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं।

सोशल मीडिया पर हाईकोर्ट की कार्यवाही का वीडियो भी सामने आया है। इसमें जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल कहते हैं कि पन्ना जिले के कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने सत्ताधारी पार्टी के एजेंट के रूप में काम किया। इन्हें तत्काल पद से हटा देना चाहिए। ये पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं। मामले की अगली 17 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।

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पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने हाईकोर्ट की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, 'धन्यवाद माई लॉर्ड आपने सही फरमाया। यह कलेक्टर ना केवल राजनीतिक एजेंट के रूप काम कर रहा है बल्कि उनके काले कारनामों में पूरी तरह से हिस्सेदार बना हुआ है।आप जितने प्रमाण चाहें हम दे देंगे।' वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी लगातार यही बात कर रही थी कि कलेक्टर भाजपा सरकार की कठपुतली बनकर कार्य कर रहे है।'

क्या है पूरा मामला

दरअसल, बीते 27 जुलाई को पन्ना जिले के गुन्नौर में जनपद पंचायत उपाध्यक्ष के रूप में कांग्रेस के परमानंद शर्मा निर्वाचित हुए थे। शर्मा को कुल 13 वोट मिले थे जबकि बीजेपी समर्थक प्रत्याशी रामशिरोमणि मिश्रा को 12 वोट मिले थे। निर्वाचन के बाद उन्हें कलेक्टर ने ने जीत का सर्टिफिकेट भी दे दिया था। लेकिन हारे उम्मीदवार बीजेपी नेता रामशिरोमणि मिश्रा ने एक वोट के बैलेट पेपर पर स्याही बीच में लगी होने के चलते कलेक्टर के पास अपील की।

इस अपील पर तत्काल कार्रवाई करते हुए कलेक्टर ने एक वोट निरस्त कर दोनों प्रत्याशियों के बराबर 12-12 वोट कर अगले दिन पर्ची उठवाकर चुनाव कराया। इस दौरान रामशिरोमणि मिश्रा के नाम की पर्ची निकली और वे उपाध्यक्ष बन गए। कांग्रेस नेता ने इस पर आपत्ति जताते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की है।